MP में 1800 करोड़ रुपए का GST घोटाला, शासन ने मांगी रिपोर्ट

3/8/2020 1:12:44 PM

इंदौर: मध्य प्रदेश में वाणिज्यिक कर विभाग की टैक्स रिसर्च विंग की जांच में पकड़े गए 1800 करोड़ के जीएसटी घोटाले से प्रदेश समेत 7 राज्यों की सरकार सकते में है। राज्य सरकार ने घोटाले की पूरी जांच रिपोर्ट वाणिज्यिक कर मुख्यालय इंंदौर से मांग ली है।

वहीं घोटाले की सभी सातों राज्यों में जांच तेज हो गई है। इनमें मध्य प्रदेश के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश दिल्ली, बिहार, असम, हिमाचल, हरियाणा है। भोपाल की फर्म मेसर्स एमपीके ट्रेडर्स द्वारा जिन-जिन कंपनियों ने ट्रांजेक्शन बताए हैं, उन सभी को जांच के दायरे में लिया जा रहा है। इस कंपनी की जांच में मौके पर कुछ नहीं पाया गया है। ट्रांजेक्शन से पता चला है कि कंपनी ने 29 जनवरी को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लिया था।

मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ था और तब से अभी तक मध्य प्रदेश जीएसटी विभाग द्वारा पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी बिलिंग मामले पकड़े जा चुके हैं। इसमें 700 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी और इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले का अनुमान है।

1. दिसंबर 2018 में वाणिज्यिक कर विभाग ने फर्जी कंपनियों के रैकेट पर छापे मारे थे। इसमें 1200 करोड़ से अधिक की फर्जी बिलिंग पाई थी। सभी कंपनियां बोगस थीं। इसमें सौ करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला मिला था।

2. जुलाई 2019 में विभाग ने पूरे प्रदेश में लाेहा कारोबार करने वाली 650 ज्यादा कंपनियों पर छापे मारे। इसमें 285 बोगस निकली थीं। इसमें 1150 करोड़ की फर्जी बिलिंग थी।

3. साल 2019 में ही छोटी ग्वालटोली सहित अन्य जगहों पर कार्रवाई में सौ करोड़ से ज्यादा की फर्जी बिलिंग सामने आई थी। एक कर सलाहकार ने आत्महत्या भी की थी।

4. मार्च 2020 के पहले सप्ताह में हुई कार्रवाई में अभी तक 1800 करोड़ की फर्जी बिलिंग का मामला सामने आ चुका है, जो ढाई हजार करोड़ से अधिक का हो सकता है।

फर्जी मिले वाहन नंबर
कंपनी ने 23 दिन में 20 फरवरी तक बंद होने से पहले ही करीब 600 करोड़ के बिल काट दिए। कंपनी ने ई-वे बिल के माध्यम से जिन वाहनों से माल का परिवहन बताया, इसमें अधिकांश फर्जी हैं। ये नंबर कैब, आटो, टेंपो आिद के पाए गए हैं।

रजिस्ट्रेशन की जांच हो, ई-वे बिल की पात्रता बढ़े
जानकारों का कहना है कि वैट एक्ट की तरह ही जीएसटी में भी व्यापारी के रजिस्ट्रेशन पर नियंत्रण होना जरूरी है और इसके लिए फिर से भौतिक सत्यापन की शर्त लानी चाहिए। साथ ही ई-वे बिल की पात्रता भी धीरे-धीरे बढ़ाई जाए, जिससे बड़े घोटाले रोके जा सकेंगे। साथ ही किसी भी संदिग्ध कंपनी, कारोबारी के जीएसटी नंबर को तत्काल निलंबित करने के अधिकार विभाग को होने चाहिए।

Jagdev Singh

This news is Edited By Jagdev Singh