ध्रुपद गायकी से विश्व स्तर पर ग्वालियर की पहचान है: मंत्री भारत सिंह कुशवाह
Sunday, Oct 09, 2022-05:42 PM (IST)

ग्वालियर (अंकुर जैन): पिछले 3 दिनों से जारी कभी रिमझिम तो कभी तेज बारिश के दौर ने शनिवार को और तेजी पकड़ ली। सांध्य बेला में उमड़-घुमड़ कर आए मेघों से भरे काले-काले बदरों की बारिश से हुए सर्द मौसम में उच्चकोटि की ध्रुपद गायकी से झर रहे मधुर सुरों से गर्माहट दौड़ गई थी। मौका था शनिवार की शाम से भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान में शुरू हुए 3 दिवसीय ध्रुपद समारोह का।
मध्य प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह के मुख्य आतिथ्य में दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं चंद्रवंशी महाराजा मानसिंह तोमर फाउंडेशन की ओर से आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय स्तर के इस ध्रुपद समारोह का शुभारंभ हुआ। समारोह की अध्यक्षता सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने की।
ध्रुपद समारोह के शुभारंभ अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि ध्रुपद गायकी की वजह से सम्पूर्ण विश्व में ग्वालियर की ख्याति है। उन्होंने कहा कि इस कठिन गायन शैली को बढ़ावा देने के लिये सरकार हर संभव सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे प्राचीन गायन शैली ध्रुपद गायकी को ऊंचाईयां प्रदान करने के लिये हम सभी को साझा प्रयास करने होंगे। भारत सिंह कुशवाह ने कहा खुशी की बात है कि केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर ग्वालियर में गुरू-शिष्य परंपरा से ध्रुपद गायकी की शिक्षा देने के लिये ध्रुपद केन्द्र की स्थापना हुई है। इसके साथ ही उन्हीं की पहल पर ध्रुपद समारोह भी आयोजित हो रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि ध्रुपद से ग्वालियर का गहरा रिश्ता है। 15वीं शताब्दी में महाराजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद गायकी को राजाश्रय दिया। उनके प्रयासों से संगीत जगत में ध्रुपद गायकी का परचम लहराया। उन्होंने कहा शास्त्रीय संगीत मनोरंजन की वस्तु नहीं, संगीत का संबंध आत्मा से होता है।
इस अवसर पर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, आईआईटीटीएम के निदेशक प्रो. आलोक शर्मा एवं चंद्रवंशी महाराजा मानसिंह तोमर फाउंडेशन के संरक्षक देवेंद्र प्रताप सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन थे। शुरू में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर ध्रुपद समारोह का शुभारंभ किया। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक डॉ. दीपक खिरवडकर ने स्वागत उदबोधन दिया।
शुभारंभ सत्र के बाद ध्रुपद समारोह में ग्वालियर के विद्यार्थियों की समूह ध्रुपद गायन की प्रस्तुति हुई। इस समूह प्रस्तुति में योगिनी तांबे, तेजस भाटे, साकेत कुमार, गुलाब प्रजापति और कमलेश शाक्य शामिल थे। समूह गायन में राग "भूपाली" में पहले आलाप के बाद मध्य लय आलाप फिर द्रुत लय आलाप की सुन्दर प्रस्तुति हुई। इसी क्रम में चौताल में निबद्ध रचना "तान तलवार की तार की सिफर लिये फिरत की" प्रस्तुति दी। उसके बाद जलद सूलताल में बैजू की रचना पेश की।
ध्रुपद केन्द्र के कलाकार अनुज प्रताप सिंह और यखलेश बघेल की ध्रुपद जुगलबंदी ने समा बांध दिया। उन्होंने अपने गायन केलिए राग "बागेश्री" का चयन किया। इस राग में दोनों कलाकारों ने ही पहले आलाप,जोड- झाला के बाद चौताल मे निबद्ध रचना "आये रघुवीर धीर आयोध्या नगर को लंका पति हनन कीयो राज दियो विभीषण को" की मनोहारी पेशकश दी। इसके बाद जलद सूलताल मे "दोनों करतार तुम राज साज" रचना पेश की। इस युगल ध्रुपद गायकी में पखावज पर मध्यप्रदेश शिखर सम्मान से विभूषित पंडित संजय आगले ने बहुत ही शांत एवं मीठी संगत दी।
आज की सभा में अंतिम कलाकार के रूप में पं. निर्माल्य डे की प्रस्तुति हुई। उन्होंने अपने गायन के लिए राग "रागेश्री" को चुना। उन्होंने पहले आलाप, जोड, झाला के साथ झप ताल में निबद्ध रचना "कैसे तुम हो मुरख श्याम" की प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में राग अभोगी में धमार की प्रस्तुति दी। जिसके बोल थे "प्रथम सुर साधे नाम जो लों रहे या ही घट में"। उनके साथ पखावज संगत संजय आगले ने की।