संस्कृत लेक्चरर को 3 साल की कठोर सजा, फर्जी सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी पाना पड़ा महंगा

5/31/2022 1:45:12 PM

बेमेतरा(भूपेंद्र साहू): शिक्षा विभाग में गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के फर्जी अंकसूची एम.ए. संस्कृत के आधार पर व्याख्याता पद प्राप्त करने वाले रविन्द्र कुमार यादव लंबे समय तक 2009 से सेवा देता रहा। उसके पश्चात् तत्कालीन छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के अध्यक्ष नारद सिंह ठाकुर विकास खण्ड साजा को फर्जी प्रमाण पत्र होने का खुलासा हुआ। जिसमें उसने जानकारी प्राप्त होते ही 2011 से शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को उक्त फर्जी प्रमाण पत्र में व्याख्याता पद प्राप्त शिक्षक की जांच कर उचित कार्यवाही के लिए शिकायत पत्र संबंधित विभाग के सचिव संचालनालय लोक शिक्षण रायपुर, जिला शिक्षा अधिकारी बेमेतरा को भेजा। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ द्वारा फर्जी की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग को जांच अधिकारी बनाया। जिस पर दस्तावेजों के आधार पर संबंधित आरोपी व्याख्याता को जवाब तलब किया। ज्ञात हो जिस समय प्रमोशन प्राप्त किया उस समय गुरू घासीदास विश्व विद्यालय का दो प्रमाण पत्र (अंकसूची) एम.ए. पूर्व अनुक्रमांक 46137 वर्ष 2005-06 एवं एम.ए. अंतिम अनुक्रमांक 64023 वर्ष 2006-07 का फर्जी अंकसूची जमा कर व्याख्याता पद प्राप्त करने में सफल हो गया था।

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ये है पूरा मामला...
इस रोल नंबर सी.एम.डी. महाविद्यालय बिलासपुर का बताया गया था जबकि इन वर्षों में उपरोक्त रोल नंबर का सीरिज गुरू घासीदास विष्वविद्यालय द्वारा उक्त महाविद्यालय को जारी ही नहीं किया गया था। इसके बाद रविंद्र यादव ने जांच अधिकारी को पहले सर्टिफिकेट में नंबरों में गलती होने का कहकर नया सर्टिफिकेट दे दिया। दो प्रमाण पत्र जिसमें एम.ए. पूर्व अनुक्रमांक 96248 वर्ष 2005-06 एवं एम.ए. अंतिम अनुक्रमांक 75433 वर्ष 2006-07 का नया जमा किया। जांच अधिकारी ने रविन्द्र यादव द्वारा जमा किये गये चारों अंकसूचियों को गुरू घासीदास विश्वविद्यालय को सत्यापन के लिए भेजा। सत्यापन में गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ने अपने अभिलेख के अनुरूप नहीं पाते हुए उक्त शख्स पर एफ.आई.आर. दर्ज कर एक प्रति विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने का पत्र लिखा। जांच के बाद मामला फर्जी निकला तो लोक शिक्षण संचालनालय को इसकी सूचना दी। जिसमें लोक शिक्षण संचालनालय ने उक्त आरोपी व्याख्याता को आरोप पत्र भी जारी किया। जिसमें उन्होंने सिविल सेवा आचरण अधिनियम का गंभीर श्रेणी का अपराध होना व शासन की छवि धूमिल करने का प्रयास मानकर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करने का आदेष जांच अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग को दिया। इसके साथ ही तत्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी साजा को संबंधित व्याख्याता के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने का आदेष दिया।


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meena

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