5 दिवसीय तानसेन संगीत समारोह का आगाज, कैबिनेट मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ करेंगी शिरकत

12/18/2019 4:33:57 PM

ग्वालियर(अंकुर जैन): ग्वालियर में पांच दिवसीय विश्व प्रसिद्ध तानसेन संगीत समारोह का आगाज हो गया है। तानसेन संगीत समारोह गंगा जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल है। यहां हर वर्ष की तरह सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर हरि कथा और मीलाद के बाद चादर पोशी की रस्म अदायगी के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस महाकुंभ का शुभ्भारंभ हुआ।

देश विदेश के विख्यात संगीतज्ञ समारोह के मंच पर अपनी स्वरांजलि प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस कार्यक्रम में ग्वालियर घराने के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पंडित विद्याधर व्यास को तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया जायेगा। समारोह में प्रदेश की संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ मौजूद रहेंगी।



ग्वालियर भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान कलाकार और अकबर के नवरत्नों में शुमार तानसेन की जन्मस्थली हैं। उनके निधन के बाद उन्हें उनके आध्यात्मिक गुरु मोहम्मद गौस के मकबरे के पास उनकी इच्छा अनुसार उन्हें दफनाया गया था। तभी से उनकी याद में उनके समाधि स्थल पर यह भव्य संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में खास बात यह है मियां तानसेन को हिंदू और मुस्लिम दोनों रीति-रिवाजों से याद किया जाता है। कोई उन्हें हिंदू तो कोई उन्हें मुस्लिम समझता है। लेकिन संगीत के लिए वे एक महान कलाकार हैं। समारोह से पहले सांप्रदायिक सौहार्द की यह झलक बेहद सराहनीय और अद्भुत हैं।



जहां संत धोली बुआ महाराज ने अपनी हरि कथा कहकर संगीत सम्राट तानसेन का आव्हान किया तो वहीं मुस्लिम समाज के धर्मगुरु मौलवी ने मीलाद पढ़कर चादर पोशी की रस्म अदायगी की। दोनों धर्मगुरु ने कहा कि तानसेन समारोह पूरे विश्व को हिंदू मुस्लिम एकता की सीख देता है। यह केवल ग्वालियर की धरा पर ही देखने को मिलता है। यहां संगीत सम्राट तानसेन को हिंदू रीति रिवाज से याद करता है तो कोई उनकी समाधि पर इबादत कर उन्हें याद करता है।



कहते हैं मियां तानसेन जन्म से हिंदू थे और बाबा हरिदास ने उन्हें आगे संगीत की शिक्षा दी लेकिन वह हिंदू धर्म के साथ साथ मुस्लिम धर्म को भी उतना ही मानते थे। आध्यात्मिक गुरु मोहम्मद गौस जिन्होंने उन्हें बोलने और गाने की शक्ति प्रदान की उन्हें तानसेन अपना सर्वोपरि मानते थे और उन्हीं की सहायता से वे अकबर के दरबार तक पहुंचे थे। लिहाजा तानसेन हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए बेहद पूजनीय है। यही वजह है कि यहां दोनों धर्मों के लोग धार्मिक रीति-रिवाजों से इनके सजदे में अपना सर झुकाते हैं।



बता दें कि इस समारोह को लगभग 100 वर्ष हो गये इसे देखने और सुनने दूर दूर से लोग आते है।  21 दिसम्बर तक चलने वाले इस त समारोह में उनकी जन्म स्थली बैहट में प्रातः कालीन और संध्या कालीन 9 संगीत सभाएं होंगी। जिनमें देश विदेश से आये कलाकार अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे। 
 

meena

This news is Edited By meena