आदिवासी संस्कृति में एक अनोखा दशहरा, रावण का पुतला दहन नहीं बल्कि गांव के 10 देवी देवताओं की होती है पूजा
10/7/2022 7:57:47 PM
कन्हारपुरी/कांकेर (लीलाधर निर्मलकर): भगवान श्री राम द्वारा रावण के वध की खुशी में देश भर में दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर में कुछ अलग ही तरह के दशहरा त्यौहार मनाया जाता है जिसमें राम रावण के चरित्र को नहीं बल्कि गांव के सरहद में रहने वाले गांवों की रक्षा करने वाले 10 देवी देवताओं की पूजा अर्चना किया जाता है और इसे के नाम से दशहरा मनाया जाता है।
जी हां यह अनोखा दशहरा कांकेर जिले के सबसे पुराने रियासत कालीन दशहरा ग्राम कन्हारपुरी में संविधान निर्माण सदस्य रहे ठाकुर रामप्रसाद पोटाई के स्मृति में देव दशहरा मनाया गया। जिसमें क्षेत्र के कई देवी देवता अपनी डांग डोरी के साथ अंगा देव को शामिल करते है।
प्रकृति के पूजक कहे जाने वाले आदिवासी समाज के लोगों ने अपने इष्ट बुढ़ा देव की पूजा अर्चना करने बाद प्रकृति जुड़ी देवी देवता की पूजा किया जाता है। इसमें पूरे प्रकृति व्यवस्था जैसे नार व्यवस्था, पेन व्यवस्था , तोंडा - मंडा - कुंडा व्यवस्था जैसे अनेकों महत्वपूर्ण व्यवस्थाओ को लोगों को प्रदर्शनी के जरिए भी बताया गया। यह क्षेत्र में अपनी तरह की एक मात्र दशहरा है जो प्रकृति से जुड़ी व्यवस्थाओं पर दशहरा पर्व को मानती है।
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