लोकसभा चुनाव से पहले भितरघातियों पर होगी कार्रवाई, तैयार हो रहा डेटा

12/31/2018 11:48:13 AM

भोपाल: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों ने लोकसभा की तैयारियों शुरू कर दी हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करना दोनों पार्टियों के लिए कठिन चुनौति है। दोनों ही पार्टियां टिकट में भी योग्य उम्मीदवारों की तलाश कर रही हैं। मौजूदा सांसदों के प्रति क्षेत्र में जनता का मिजाज भी भांपा जा रहा है। वहीं, अंदरखाने की खबर है कि दोनों दल लोकसभा चुनाव से पहले भितरघातियों का पता लगाना चाहते हैं। इसके लिए पार्टियों ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। 

 




आगामी दिनों में कांग्रेस ब्लाक स्तर पर संगठन को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने जा रही है। सरकार बनाने के बाद भी कांग्रेस बूथ स्तर पर समीक्षा करने की तैयारी में है। यह देखा रहा है कि 15 साल बाद लहर आने के बावजूद अपेक्षा के अनुसार आखिर जनादेश क्यों नहीं मिल पाया है। कहां कमी रह गई है। इसको चिन्हित कर ठीक करने का काम किया जाएगा। उन विधानसभा क्षेत्र से यह रिपोर्ट ली जा रही है जहां जनता का झुकाव होने के बावजूद भी उम्मीदवार सफल क्यों नहीं हो पाए हैं। कितने भितरघाती चुनाव में सक्रिय रहे हैं। हर जिलों से यह डाटा भी सत्ताधारी पार्टी मांग रही है। सुत्रों के अनुसार, कांग्रेस में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के निर्णय पर निगाहें टिकी हैं। जो भी नेता अध्यक्ष पद संभालेगा। तत्काल उसे ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करने की जवाबदारी मिलेगी। ताकि लोकसभा चुनाव तक एकतरफा माहौल को अपने पक्ष में बनाया जा सके।


 


भाजपा में भी हुआ मंथन तेज
मौजूदा विधानसभा में करीब 50 सीटों का नुकसान झेलकर बहुमत से दूर रही भाजपा भी विधानसभा क्षेत्रवार समीक्षा कर रही है। यह देखा जा रहा है कि तमाम जनहितैषी योजनाएं चलने के बाद आखिर कमी कहां रही है। टिकट न मिलने के कारण जो नेता रूठे हुए हैं, उन्हें एक बार फिर मनाने का काम किया जाएगा। खासकर मालवा, चंबल और बुंदेलखंड में अपना वजूद मजबूत करने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झौंकी है। इसके साथ ही उन नेताओं की तलाश शुरू की जा रही है, जिन्हें लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारना है। भाजपा पूरा गणित लगा रही है कि विधानसभा में चूके तो लोकसभा में हर सीट पर कब्जा करना लक्ष्य है। हालांकि कौन उम्मीदवार होगा यह तो आनेवाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन इतना जरूर है कि लोकसभा में दोनों ही दल योग्य और जिताऊ प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारेंगे।

 

 

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