खतरे में बस्तर के जंगल! माइनिंग से प्राकृतिक सुंदरता के साथ जल स्त्रोत भी हो रहे नष्ट

1/20/2022 4:11:27 PM

बस्तर(लीलाधर निर्मलकर): बस्तर में आदिवासी बरसों से जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन राज्य सरकार राजस्व और विकास के नाम पर बड़े बड़े कॉरपोरेट कंपनी को निजी फायदे के लिए बस्तर की अस्मिता को नाश करने में तुली हुई है जिसका खामियाजा बस्तर वासी भुगत रहे हैं। इसका असर पर्यावरण पर भी सीधा पड़ रहा है। यह वर्तमान में बस्तर में लगभग 10 जगहों में जल जंगल और जमीन लड़ाई लड़ रहे हैं।

मामला कांकेर जिला मुख्यालय से 70 km दूर दुर्गुकोंदल के आश्रित ग्राम हाहालद्दी की है। जहां वर्तमान में मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड के द्वारा लोहा अयस्क, कच्चा लोहा का माइनिंग कार्य किया जा रहा है। जिसके कारण  हजारों पेड़ों के बलि चढ़ाई जा रही है और साथ ही यहां के स्थाई ग्रामीणों की आस्था मावली माता की अस्तित्व भी खतरे में है। जिसे ग्रामीणों के पूर्वज वर्षो से मानते आ रहे हैं, पर कंपनी अपनी निजी स्वार्थ के चलते न सिर्फ जंगलों का विनाश का रही है बल्कि लोगों की आस्था और यहां की प्राकृतिक सुंदरता को खत्म करने में लगी है। इस क्षेत्र में पहले से ही बजरंग इस्पात द्वारा माइनिंग कार्य किया जा रहा है पर विकास के नाम पर यहां के लोगों को छला गया है। ऐसे में माइनिंग क्षेत्र 78.90 हेक्टेयर को नए कंपनी को खनन के आबंटन दिया गया है।

आपको बता दें कि पहाड़ से एक जल स्त्रोत भी है जो गर्मी के दिनों में भी बहती रही है जिससे कि यह के मवेशी अपनी प्यास बुझाते हैं। लेकिन जब यहां माइंस चालू होने से इसके जल स्त्रोत भी बंद हो जाएंगे।

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