रिश्वत देने के चक्कर में भाई का इलाज नहीं करा पाया शख्स, घूसखोर पकड़ा तो फफक फफक कर रोया...

3/9/2021 5:06:35 PM

छतरपुर(राजेश चौरसिया): सोमवार को छतरपुर में हुई लोकायुक्त की एक कार्यवाही के दौरान रिश्वत का ऐसा घिनौना खेल उजागर हुआ जिसमें शिक्षा विभाग के बीआरसीसी लखन लाल सिसौदिया को 10 हजार रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया। उनके साथ सहयोग करने वाले बाबू कृष्णदत्त भार्गव पर भी कार्यवाही की गई है।

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अधिकारियों के द्वारा एक निजी स्कूल संचालक से आरटीई के तहत स्कूलों को दी जाने वाली गरीब बच्चों की फीस की फाइल को आगे बढ़ाने में एक साल से आनाकानी की जा रही थी। स्कूल संचालक का भाई बीमार था और उसे इलाज के लिए रखी रकम भी जब रिश्वत में दिए जाने की नौबत आन पड़ी तो उसने लोकायुक्त का सहारा लिया और साहब को पकड़वा दिया।

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यह है मामला...
छतरपुर के सीताराम कॉलोनी में निजी स्कूल संचालित करने वाले लिटिल वल्रड इंग्लिश स्कूल के संचालक कमलापत मिश्रा ने बताया कि गरीब बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल में पढ़ाने के एवज में शासन द्वारा उनका शुल्क स्कूलों को मुहैया कराया जाता है। कमलापत के स्कूल में पढऩे वाले ऐसे ही 90 गरीब बच्चों का शुल्क शासन से उपलब्ध कराने के लिए वह एक साल से बीआरसी कार्यालय के चक्कर लगा रहा था।

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कमलापत मिश्रा ने बताया कि फाइल को आगे बढ़ाने के नाम पर पहले बीआरसी के नोडल बाबू कृष्णदत्त भार्गव ने 20 हजार की रिश्वत मांगी थी। जब उन्होंने बाबू की शिकायत बीआरसीसी लखन लाल सिसौदिया से की तो उन्होंने वर्ष 2018 और 19 की दो फाइलों को आगे बढ़ाने के एवज में प्रति बच्चे की दर से रिश्वत का हिसाब जोड़कर 60 हजार रुपए की मांग शुरु कर दी। स्कूल संचालक ने बताया कि अधिकारी द्वारा उनसे 4 हजार रुपए की रिश्वत पहले भी ली गई और अब 10 हजार रुपए की रिश्वत तत्काल देने एवं शेष रिश्वत राशि के खाते में आ जाने के बाद दिए जाने की बात कही गई। कमलापत मिश्रा का भाई बुरी तरह बीमार है। उसने बताया कि उन्हें अपने भाई का इलाज कराना था लेकिन इसी बीच उन्हें रिश्वत के लिए मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा था।

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कमलापत मिश्रा ने बताया कि उनकी फाइल कार्यालय में 25 जून 2020 से अटकी है। कमलापत ने बताया कि रिश्वत के लिए बीआरसीसी ने कई बार उनके स्कूल का निरीक्षण किया और 3 मार्च को स्कूल पहुंच कर जल्द से जल्द राशि देने का दबाव बनाया। जब वे प्रताडि़त हो गए तो उन्होंने 6 मार्च को इसकी शिकायत लोकायुक्त एसपी से मिलकर की थी जिसके बाद लोकायुक्त सागर की टीम ने जाल बिछाकर दोनों अधिकारियों को पकड़ लिया।

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सोमवार को उक्त दोनों अधिकारियों ने 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने के लिए कमलापत मिश्रा को कार्यालय में बुलाया था। जैसे ही कमलापत रिश्वत लेकर कार्यालय पहुंचे। उन्होंने बीआरसीसी को पैसा दिया तभी सागर लोकायुक्त की निरीक्षक मंजू सिंह के नेतृत्व में पहुंची टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके हाथ धुलवाए गए तो वह नोटों के साथ लगाए गए कैमिकल के कारण लाल हो गए। इसके बाद मीडिया ने जब कमलापत मिश्रा से मामले की जानकारी ली तो वह भाई की बीमारी के कारण रिश्वत के लिए प्रताडि़त किए जाने का वाकया सुनाते हुए फूट-फूटकर रोए। लोकायुक्त की इस कार्यवाही में टीआई बीएम द्विवेदी सहित आधा दर्जन स्टाफ मौजूद रहा।


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Content Writer

meena

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