कोविड में जिन बच्चों ने मां-पिता को खोया, CM शिवराज उनके साथ मनाएं दीपावली

10/22/2022 4:51:35 PM

भोपाल (विवान तिवारी): कोरोना की लहरों ने जहां एक ओर लोगों को बार-बार हाथ धोने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, कहीं आने जाने से बचने और मास्क लगाने के लिए मजबूर किया तो वहीं दूसरी ओर ना जाने कितने ही मासूमों को अपनी चपेट में भी ले लिया। नतीजतन कई ऐसे बच्चे हैं। देशभर में जिनके मां पिता को कोरोना से लील लिया और अब वह बच्चे बिन मां पिता के इधर उधर जैसे तैसे अपने जीवन को जीने के लिए मजबूर है।

ऐसे में जहां एक ओर सरकारें इन बच्चों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है और लगातार मदद कर रही है तो वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कुछ ऐसे ही अलग ही अंदाज में इन नवांकुरो के लिए गंभीर है। कोरोना काल में अभिभावक की मृत्यु होने पर निजी स्कूल में पढ़ रहे विद्यार्थियों की पढ़ाई निरंतर रखने के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के अंतर्गत व्यवस्था की गई। वहीं अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बार की अपनी दीपावली कोरोना काल में अपने माता पिता को खोने वाले बच्चों के नाम कर दी है।

•  बच्चों के साथ खाएंगे खाना, CM हाउस में खेलने कूदने का भी मिलेगा मौका

दीपावली पर सीएम शिवराज सिंह चौहान अनाथ बच्चों के साथ खाना खाएंगे फिर सभी को सीएम हाउस की सैर भी कराएंगे। वही उन्होंने आम लोगों से ये अपील भी की है कि वो अपने पड़ोस और जान पहचान के अनाथ बच्चों के साथ इस बार दीपावली मनाएं। अपनी तरफ से मुख्यमंत्री चौहान ने दीपावली पर एक बयान जारी करते हुए ये कहा कि कोरोना काल में बनाई गई मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना से हम ऐसे बच्चों की शिक्षा सहित सभी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

CM ने कहा कि माता पिता की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन उनके माता पिता ने जो सपने उनके लिए देखे थे, उसे पूरा करने में उनका मामा शिवराज सिंह चौहान हर कदम पर उनके साथ रहेगा। मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के जरिए उन बच्चों की मदद की जाएगी जिन्होंने कोरोना की वजह से अपने माता पिता को खो दिया है। इसमें बच्चों की आर्थिक मदद के साथ उनकी पढ़ाई और राशन की व्यवस्था सरकार की तरफ से की जाएगी।

• आखिर क्या है सीएम शिवराज की अनाथ बच्चों के लिए योजना, जिसकी देश भर में हो रही चर्चा...

बता दे कि कोविड-19 के दौरान अनेक बच्चे उनके माता-पिता की मृत्यु के कारण अनाथ हो गए हैं। ज्यादातर स्थितियों में उन बच्चों को देखरेख और संरक्षण के लिए कोई भी सहायता नहीं हो पा रही थी। वही सगे संबंधी भी आर्थिक कठिनाईयों के कारण बच्चों के भरण पोषण के लिए आगे नहीं आ पा रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री चौहान ने संवेदनशीलता के साथ इन बच्चों की जिम्मेदारी लेने का निर्णय लिया। देश में पहली बार कोविड-19 महामारी से अनाथ हुए बच्चों की सहायता के लिए अग्रणी पहल करते हुए 'मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना' प्रारंभ की गई।

इस योजना के तहत कक्षा 1 से 8 तक शासकीय स्कूल में निःशुल्क शिक्षा व निजी स्कूल में शुल्क सहायता दी जाएगी। स्कूल, कॉलेज फीस हॉस्टल, 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाई के लिए 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। निजी इंजीनियिरंग कॉलेज में एडमिशन के लिए प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपए सरकार देगी। जिन बच्चों के रिश्तेदार उनकी देख-रेख नहीं कर पाएंगे, उनकी शासकीय बाल गृहों में भी व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही लैपटॉप टेबलेट का इंतजाम भी किया जाएगा। कोविड के अलावा भी अनाथ बच्चों का पालन-पोषण भी सरकार करेगी।

• भांजी अर्पणा बोली- डॉक्टर बनना है तो, मामा बोले- एमबीबीएस का खर्च सरकार उठाएगी

बीते वर्ष सीएम शिवराज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हितग्राही बच्चों से बातचीत की थी। उस दौरान भोपाल के दपर्ण सोनी और अपर्णा सोनी से बात हुई। इन दोनों ने कोरोना से अपने पेरेंट को खो दिया है। दपर्ण इंजीनियरिंग कर रहा है, जबकि अपर्णा 12वीं कक्षा में है। अपर्णा ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह डॉक्टर बनना चाहती है, इस पर मामा शिवराज ने तुरंत कहा कि उसे एमबीबीएस सरकार कराएगी और पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाएगी। इसके अलावा सीएम ने अन्य कई हितग्राही बच्चों से भी संवाद किया था और लगातार करते रहते है।

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