जशपुरिया स्ट्राबेरी से महकेगा छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिल रही मदद

2/3/2023 12:31:56 PM

रायपुर (सत्येंद्र शर्मा) : छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों की स्ट्राबेरी देश भर में मशहूर हो रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण इसकी बहुत डिमांड है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की मांग के कारण यह स्थानीय स्तर पर ही इसकी खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान इसकी खेती के शौकिन हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 4 से 5 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की है। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं। जिसके कारण धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा होता है।

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स्ट्राबेरी की खेती में धान के मुकाबले ज्यादा मुनाफा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है, वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाइ में भी यह बोई जा सकती है। जितनी जरूरत धान की खेती में की देख-रेख की पड़ती है उतनी स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ती है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र अनुकूल है।

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जशपुर में जलवायु की अनूकूलता को देखते हुए 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ली गई है। इन किसानों ने अक्टूबर में स्ट्राबेरी के पौधे रोपे और दिंसबर में पौधे से फल आना शुरू हो गए। फल आते ही किसानों ने हरितक्राति आदिवासी सहकारी समिति के माध्यम से या स्वयं अच्छी पैकेजिंग की। पैकेजिंग के साथ कुछ समय में प्रतिसाद मिलना शुरू हो गए। जशपुर में 25 किसानों ने दो-दो हजार पौधे लगाए हैं। इससे हर किसान को अब तक करीब 40 से 70 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। किसानों ने बताया कि स्ट्राबेरी के पौधों पर मार्च तक फल आएंगे, इससे करीब एक किसान को एक से डेढ़ लाख रूपए की आमदनी संभावित है। वहीं एक किसान से करीब 3000 किलो स्ट्राबेरी फल होने और सभी किसानों से कुल 75000 किलोग्राम स्ट्राबेरी के उत्पादन होने की संभावना है।

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स्ट्राबेरी की खेती के लिए सबसे अहम बात यह है कि इसकी पैदावार के लिए जमीन का उपजाऊ होना भी ज्यादा जरूरी नहीं होता। स्ट्राबेरी का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। आइस्क्रीम, जेम जेली, स्क्वैश आदि में स्ट्राबेरी फ्लेवर लोकप्रिय है। इसके अलावा इसका उपयोग पेस्ट्री, टोस्ट सहित बैकरी के विभिन्न उत्पादनों में किया जाता है। स्ट्राबेरी में एण्टी आक्सीडेंट होने के कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों लिपिस्टिक फेसक्रीम के अलावा बच्चों की दवाईयों में फ्लेवर के लिए किया जाता है।

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वहीं कृषि मंत्री रविद्र चौबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल का असर अब खेती किसानी में दिखने लगा है। खेती किसानी में मिल रहे इनपुट सब्सिडी का उपयोग किसान अन्य फसलों के लिए कर रहे हैं। किसान अब परंपरागत धान की खेती की जगह बागवानी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। किसानों के इस नवाचारी पहल की लिए बधाई और शुभकामनाएं।


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Content Writer

meena

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