छात्रावास में रहने के लिए बाल मजदूरी कर रहा है ''देश का भविष्य''
3/1/2019 3:13:32 PM
छत्तरपुर: सरकार लाख चाहे कि वह योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाए पर उनके नुमाइंदे ऐसा होने नहीं देते और चल रही योजनाओं को पलीता लगाते नज़र आते हैं। ताजा मामला जिले के ईशानगर विकासखण्ड के कस्तूरबगांधी बालिका छात्रावास का है। जहां बेटियों को बेहतर शिक्षा स्वास्थ्य वातावरण मुहैया कराने के लिए छात्रावासों का प्रबंध किया गया है। जिसमें रहकर बेटियां अच्छे से पढ़ लिख सकें जिस पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की मनमानी के चलते छात्रावास में रह रही छात्राओं को इन योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
छात्रावास में साफ-सफाई और भरपेट खाना मिलना तो दूर बल्कि यहां छात्रावास की बनने वाली बाउंड्री वॉल के काम में ईट गारा भी ढोना पड़ रहा है। और मासूमों का बचपन मेहनत मजदूरी की आग में जल रहा है। नज़ारा देखें छतरपुर के ईशानगर कस्तूरबा गांधी छात्रावास का जहां अधीक्षका लक्ष्मी धनधोरिया ने जैसे बच्चों को मजदूरी पर लगा रखा है। यहां मासूमों के हाथों में पेन कॉपी किताब कि जगह मजदूरी की टोकरी थमा दी गई है और इन बच्चों से बड़े मजदूरों सा काम कराया जा रहा है।
हंटर मैडम का ख़ौफ बच्चों में इतना है कि मीडिया के सामने बच्चे चाहकर भी कुछ नहीं बोल पा रहे। मजबूरी है कि इन्हें अपना घर-द्वार, मां-बाप, परिवार छोड़ छात्रावास में जो रहना है। यहां कहावत भी चरितार्थ होती है कि तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं लिया जाता। और यही आलम यहां इन बच्चों का भी है।
मामले पर जब जिले के आला अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला अभी संज्ञान में आया है। इस पर जल्द ही टीम बनाकर जांच की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।