कांग्रेस Vs RSS: सरकारी भवनों में शाखाओं पर बैन लगाने की तैयारी में कमल सरकार

3/9/2019 2:49:42 PM

भोपाल: लोकसभा चुनाव से पहले आरएसएस एक बार फिर कांग्रेस के निशाने पर है। मध्यप्रदेश में सरकारी भवनों में संघ की शाखाओं पर बैन लगाने की तैयारी कांग्रेस सरकार ने कर ली है । सामान्य प्रशासन विभाग ने वचन पत्र का हवाला देते हुए इसके लिए प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस-बीजेपी और संघ आर पार की लड़ाई में दिख रहा है। इस बात पर सियासत शुरू हो गई है कि संघ पर शिकंजा कसा गया तो बीजेपी अब सरकारी बंगलों में भी संघ की शाखाएं लगाएगा।


 

दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अपने वचन पत्र में आरएसएस की शाखाएं सरकारी भवनों में लगाने और इनमें सरकारी कर्मचारियों के बैन का जिक्र किया था। अब 15 साल बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई है तो संघ की शाखाओं का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। जिसके चलते मध्यप्रदेश में सरकारी भवनों में संघ की शाखाओं पर बैन लगाने की तैयारी कांग्रेस सरकार ने कर ली है । सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए बकायदा प्रस्ताव बनाना शुरू भी कर दिया है। कांग्रेस सरकार के मंत्रियों का कहना हैं कि संघ की 1000 प्रतिशत शाखाएं सरकारी भवनों में बंद करेंगे।



वहीं दूसरी तरफ जब संघ का जिक्र होता है तो बीजेपी का तिलमिलाना लाजमी है। ऐसे में केंद्र से लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के तमाम नेताओं के गुस्से का गुबार कांग्रेस पर फूट पड़ा है। कोई ये कह रहा है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को संघ की शाखाओं में जाकर सीखना चाहिए,  तो ये भी कहा जा रहा है कि जब जवाहरलाल नेहरू संघ की शाखाओं को लगने से रोक नहीं पाए तो ये क्या कराएंगे। इतना ही नहीं कहा तो यह भी रहा है कि संघ की शाखाएं कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के बंगले तक में लगेगी रोक सको तो रोक लो।



बता दें कि, इससे पहले भी संघ कांग्रेस के निशाने पर रहा है। चाहे राहुल गांधी हों या दिग्विजय सिंह लगातार संघ पर हमलावर रहे हैं। साल 2000 में दिग्विजय सरकार में एक आदेश जारी किया था, जिसमे कहा गया था कि आरएसएस या ऐसी संस्थाओं के कार्यक्रम में भाग लेना या उससे किसी रूप में सहयोग करना मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम का उल्लंघन माना जाएगा, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में सितंबर 2006 में इस आदेश को शिथिल कर दिया गया था। लेकिन अब कांग्रेस की सरकार में बनने की बाद फिर ये विवाद गरमा गया है।

ASHISH KUMAR

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