शिवराज सरकार के एक फैसले के कारण मध्यप्रदेश में कोरोना विस्फोट हो गया ?

4/12/2021 8:03:24 PM

एमपी डेस्क (विजय केसरी) : मध्यप्रदेश में इस वक्त कोरोना पूरी तरह से बेकाबू नजर आ रहा है, हालांकि सरकारी आंकड़ों में यह तस्वीर बहुत ही धुंधली दिखाई देती है, लेकिन अगर हम अस्पतालों में मरते मरीज और श्मशान घाटों पर शवों की लाइन को देखें, तो इसकी भयावहता का अंदाजा आसानी के साथ लगाया जा सकता है। जहां प्रदेश में कोरोना को काबू करना सरकार के साथ पूरे सिस्टम के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 



अब सवाल ये, कि आखिर मध्यप्रदेश में एकाएक कोरोना कैसे फैल गया ? इस विषय में काफी हद तक प्रदेश की शिवराज सरकार के अव्यवहारिक कदमों को जिम्मेदार माना जा सकता है। जिनमें सतही तौर पर जहां राजनीतिक गतिविधियों को कोरोना गाइडलाइन से छूट देना और इस महामारी को लेकर उसकी शिथिलता दोषी है, तो दूसरा प्रमुख कारण जुड़ा है उसके उस फैसले से, जिसके कारण लोग न चाहते हुए भी भीड़ के रूप में घर से बाहर निकलने को मजबूर हो गए। 



दरअसल जो मुख्यमंत्री हर मंच पर लॉकडाउन को कोरोना का समाधान नहीं मान रहे, उन्हीं की सरकार ने प्रदेश में नाइट कर्फ्यू का फैसला लिया और बाजार कम समय के लिए खोले जाने लगे। उसके बाद इस आंशिक लॉकडाउन को अचानक ही वीकेंड के कोरोना कर्फ्यू में तब्दील किया और बाद में कई जिलों में उसे बढ़ाकर 7 और 9 दिन का लॉकडाउन लगा दिया। ये ऐसे आदेश थे, जिनके सामने आने के बाद संबंधित क्षेत्र की जनता में एकाएक भगदड़ मच जाती, और लोग अपनी जरूरत के सामान जुटाने के लिए एकाएक घर से निकल पड़ते। कई बार तो स्थिति कुछ इस तरह की नजर आती थी, तो लोग भविष्य की आशंका को देखते हुए एक पखवाड़े और महीने भर तक का राशन इकट्ठा करने बाजार पहुंचने लगे और लोगों की यही भीड़ मध्यप्रदेश में कोरोना विस्फोट का अहम कारण बन गई। चूंकी अगर खुद सरकार लॉकडाउन में विश्वास नहीं रखती, तो फिर प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू का भी इतना विशेष महत्व नहीं होना चाहिए। हालांकि कोरोना की चेन ब्रेक करने के लिए अगर ये फैसला बहुत जरूरी है, तो सरकार को चाहिए कि लोगों की जरूरत का सामान उनके घर पर मिल सके, जिससे वह उसे लेने के लिए बाजार तक नहीं जाए, शायद इसी तरह से कोरोना से बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है।

Vikas Tiwari

This news is Content Writer Vikas Tiwari