कोरोना का गणेश चतुर्थी पर बुरा असर, मूर्तिकारों पर छाया रोजी-रोटी का संकट

8/21/2020 4:34:07 PM

रायसेन: कोरोना के कहर के चलते इस बार गणेश उत्सव मनाने पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। वहीं कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए इस बार गणेश पंडाल लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। सिर्फ छोटी मूर्तियां रखने की ही अनुमति दी गई है। इस फैसले से क्षेत्र के मूर्ति बनाने वाले सैकड़ों परिवारों के सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।



हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पर्व जिसे हिंदू धर्म के कई समुदाय पूरे देश में अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। कई महीने पहले से ही इस पर्व के लिए तैयारियां शुरू होने लगती हैं। लेकिन इस बार कोरोना ने त्योहार पर सभी लोगों को घरों में कैद कर दिया। कोरोना के चलते कई त्योहार बेरंग हो गए है, वहीं धूमधाम से मनाए जाने वाले गणपति बप्पा के त्योहार की भी रौनक फीकी पड़ गई है। कोरोना का सबसे ज्यादा असर इस बार मूर्तिकारों पर देखा जा रहा है, जो हर साल गणेश उत्सव, नवरात्र जैसे त्योहारों का इंतजार करते हैं, ताकि कमाई कर अपने परिवार का पालन पोषण कर अपनी जीविका चला सकें। लेकिन इस साल कोराना का ग्रहण उनकी रोजी रोटी पर लग गया है। मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में भी कई महीनों पहले से ही गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती थी। लेकिन इस बार कोरोना के चलते सब कुछ फीका नजर आ रहा है। इस बार रायसेन की गलियों में कोराना के चलते गणपति बप्पा मोरया की गूंज नहीं सुनाई देगी। लोगों को अब अपने घर पर ही बप्पा की मूर्ती रखनी होगी। जिले में ऐसे सैकड़ों परिवार है जो मूर्ति बनाने का काम करते हैं।



मूर्तिकारों का कहना है कि वह साल की शुरुआत से ही मूर्ति बनाने के काम में लग जाते हैं। भगवान गणेश की एक मूर्ती करीब 15 हजार तक बिकती है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते न तो मूर्तियां सही ढंग से बिक पा रही हैं और न ही उनका उचित दाम मिल रहा है। वहीं एक मूर्तिकार जगन्नाथ का कहना है कि इस बार मूर्तियों के ऑर्डर पहले जैसे नहीं आए। जिसके चलते हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोरोना के खौफ के चलते मूर्तिकारों की रोजी रोटी भी अब मुश्किल में दिखाई दे रही है।
 

Vikas kumar

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