श्मशान की जमीन को प्रशासन ने कराया दबंगों से मुक्त, आदिवासी का 5 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार

12/6/2019 1:21:38 PM

अशोकनगर: मध्य प्रदेश में असामाजिक तत्त्व किस तरह से हावी हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक गरीब के अंतिम संस्कार के लिए कानून का सहारा लेना पड़ा। इसी का एक उदाहरण अशोकनगर जिले से सामने आया है। जहां जिला मुख्यालय से सटे आदिवासी बाहुल्य टकनेरी गांव में एक आदिवासी को मौत के बाद कई घण्टे अंतिम संस्कार के लिए इसलिए इंतजार करना पड़ा क्योंकि श्मसान पर दबंगों ने कब्जा करके फसल वो रखी थी।

मामला तूल पकड़ता देखकर तुरंत तहसीलदार एवं अन्य अधिकारियों  ने श्मशान को  कब्जे से मुक्त कराया तब जाकर 5 घण्टे के इंतजार के बाद नन्नूलाल आदिवासी का अंतिम संस्कार हो पाया। लापरवाही एवं अव्यवस्थाओं के चलते जीते जी तो  लोगों को परेशान होते देखा ही होगा मगर अशोकनगर के टकनेरी गांव में मरने के बाद सुकून से जलने के लिए भी शव को भी घण्टों इंतजार करना पड़ा है।

मानवीय संवेदनाओं को चोटिल करने के इस मामले में टकनेरी पंचायत की लापरवाही सामने आई है।  जहां  बुधवार रात आदिवासी समुदाय से जुड़े  नन्नूलाल आदिवासी का निधन हो गया,नन्नू लाल के निधन के बाद उनके परिजन और अन्य ग्रामीणों ने जब गुरुवार को उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की, तो उन्हें उबड़ खाबड़ रास्ते से अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी। इतना ही नहीं, ग्रामीण करीब दो किलोमीटर चलकर नन्नू लाल का अंतिम संस्कार करने पहुंचे, तो जो जगह ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए शासन द्वारा दी गई थी ,उस जगह पर किसी गांव के एक दबंग ने फसल की बुवाई कर दी। साथ ही सरपंच ओर सचिव की  मिलीभगत से एक नाले के पास ग्रामीणों के लिए श्मशान घाट का निर्माण कराया जा रहा था।

ग्रामीणों ने जो जगह उन्हें दी गई थी उसी जगह पर अंतिम संस्कार करने की बात कहीं, मामला तूल पकड़ता देख प्रशासन तुरंत पूरी मशीनरी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा। कलेक्टर मंजू शर्मा के आदेश से तहसीलदार इसरार खान ने तुरंत जमीन की नापती कराकर ग्रामीणों को उक्त जगह सौंपी तब जाकर मृतक का अंतिम संस्कार करीब 5 घण्टे बाद संपन्न हो पाया।

 

Jagdev Singh

This news is Edited By Jagdev Singh