राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ‘दमोह की दादी’ डॉ. पुष्पा लाल का निधन, समाज सेविका के रुप में बनाई पहचान

4/7/2022 12:00:20 PM

दमोह(इम्तियाज चिश्ती): प्रदेश की प्रमुख समाज सेवी संस्था मिड इंडिया क्रिश्चियन सर्विसेस एवं नव जागृति एजुकेशन सोसायटी की सह संस्थापिका एवं  प्रमुख समाज सेवी डॉ पुष्पा लाल का निधन हो गया। उन्होंने बुधवार सुबह अपने निवास स्थान  मिशन बंगला पर अंतिम सांस ली। पुष्पा लाल स्व. डॉ विजय लाल की पत्नी थीं और उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर जिले में कई सामाजिक संस्थाओं की नींव रखी। उनके दोनों पुत्र राजकमल डेविड लाल और डॉ अजय लाल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाज सेवा में संलग्न हैं। डॉ पुष्पा लाल को समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार 1988-1989 में प्राप्त हुआ। 

मदर टेरेसा के सानिध्य में दमोह में समाज सेवा का कार्य करने वाली दया, करुणा, मानवता की मिसाल स्व डॉ पुष्पा लाल का जन्म 25 नवंबर 1929 को दमोह में हुआ था। इनके माता पिता मुख्य रूप से राजस्थान के रहने वाले थे। इन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के बाद टीचर्स ट्रेंनिग हवा बाग कॉलेज जबलपुर से प्राप्त की। वे स्थानीय मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला दमोह में शिक्षण प्रदान करते हुए प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुईं। इसी के साथ उन्होंने अपने पति डॉ विजय लाल के साथ मिलकर समाज सेवा, चिकित्सा क्षेत्र के अलावा दिव्यांग बच्चों, की शिक्षा, देखरेख और विधवा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उन्हें आत्म निर्भर बनाने  के लिए कई योजनाएं प्रारंभ कीं और बड़ी सेवा भावना के साथ संचालन किया। 

उनकी अंतिम यात्रा का प्रारंभ संध्या 4 बजे बस स्टैंड के समीप स्थित स्थानीय डिसाइपल्स ऑफ क्राइस्ट चर्च भवन से होगा एवं पार्थिव देह को सेंट्रल स्कूल रोड स्थित प्रभु वाटिका में भूमि को समर्पित किया जायेगा। दमोह जिले की दादी के नाम से प्रख्यात डॉ पुष्पा लाल ने अपनी 93 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में भी अपनी शक्ति अनुसार जीवन जिया जो अपने आप में उदाहरण है।

उनकी बहू डॉ शीला लाल व डॉ इन्दू लाल जो खुद एक समाज सेविका है उन्होंने बहुत सेवा की आज उनके जाने से घर परिवार में गम का माहौल है लेकिन उनकी यादें और स्नेह ना सिर्फ परिवार ही बल्कि दमोह नगर के कई परिवारों के लोगों के दिलों में बना रहेगा। वह एक ऐसी शख्सियत थीं जिनका जीवन दूसरों के लिए उदाहरण रहा है। जो भी शख़्स उनसे मिला उसे अपने पन का अहसास हुआ और उन्होंने भी सभी को अपने परिवार के सदस्यों की तरह प्रेम, स्नेह दिया। 

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