मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक, आंकड़ों के फेरबदल से क्या गिर सकती है कमलनाथ सरकार?

3/4/2020 11:56:44 AM

भोपाल: मंगलवार की रात को मध्य प्रदेश की सियासत में उस समय भूचाल आ गया जब कांग्रेस सरकार के 10-11 विधायकों का गुरुग्राम के मानेसर स्थित आईटीसी होटल में भाजपा द्वारा बंधक बनाने की खबर सामने आई। हालांकि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस बात को सिरे से नकार दिया है। वहीं दिग्विजय सिंह का कहना है भाजपा कांग्रेस सरकार गिराने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है। इस बीच यह सवाल उठने लगे है कि कुछ विधायकों के इधर उधर होने से कमलनाथ सरकार को खतरा है या नहीं।



बता दें कि मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटों में से 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं और भाजपा को 109 सीटें प्राप्त हुई थी। इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी। आंकड़े के हिसाब से भाजपा केवल दो सीट दूर रह गई थी। क्योंकि सरकार बनाने के लिए 116 सीटें चाहिए। 

सरकार बनाने के लिए चार निर्दलीय, सपा के एक और बसपा ने एक विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था। ऐसे में कमलनाथ को बहुमत से चार ज्यादा यानी 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन, कमलनाथ सरकार में शामिल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक अक्सर कांग्रेस से अपनी नाराजगी जाहिर करते भी दिखाई दिए हैं। फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस के एक एक विधायक का निधन होने से दो सीटें खाली हो गई हैं। जिन उपचुनाव होना बाकी है।



यदि कमलनाथ सरकार से पांच विधायक टूटते हैं तब एमपी में सरकार का गिरना तय है। वहीं अभी तक सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसमें भाजपा के पास कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक है। ऐसे में सरकार तो सुरक्षित है लेकिन भविष्य में इसके गिरने की संभावना ज्यादा है।  

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