विधानसभा चुनाव से पहले उठी अटल प्रोग्रेस-वे बनाने की मांग, मंत्री कुशवाह ने दिए ये संकेत

7/30/2022 12:27:29 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): राज्य सरकार (state government) के ड्रीम प्रोजेक्ट अटल प्रोग्रेस-वे (atal progress way) का अलाइनमेंट बदल रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी कि एनजीटी (NGT) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (national highway authority of india) इसमें संशोधन कर रहा है। नये अलाइनमेंट का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ है, उसके मुताबिक अब यह प्रोग्रेस-वे श्योपुर, मुरैना, भिंड (चंबल संभाग) के 162 गांवों से नहीं, बल्कि 204 गांवों से गुजरेगा। पहले इसका रास्ता चंबल नदी (chambal river) के किनारे होकर जाना था। लेकिन रास्ते में चंबल की घड़ियाल सेंचुरी (chambal national sanctuary) और करीब 403 हेक्टेयर का घना जंगल आ रहा था। इसलिए अब प्रोग्रेस-वे को चंबल नदी (chambal river) से तीन किमी दूर खिसका दिया गया है। इस बदलाव से प्रोजेक्ट की लागत 500 करोड़ रु. बढ़कर 7500 करोड़ रुपये पहुंच जाएगी। किसानों को जमीन अधिग्रहण का मुआवजा पहले 350 करोड़ रुपये दिया जाना था, जिसे बढ़ाकर 700 करोड़ रूपये कर दिया गया है। अब प्रोजेक्ट के लिए निजी जमीन अधिग्रहित करनी पड़ेगी। पुराने अलाइनमेंट में सरकारी जमीन ज्यादा थी। हालांकि इस बदलाव से प्रोग्रेस-वे की कुल लंबाई 312 किमी से घटकर 307 किमी रह जाएगी।

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बनकर रहेगा अटल प्रोग्रेस-वे: मंत्री कुशवाह 

मुरैना प्रभारी और राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह (state minister bharat singh kushwah) ने कहा कि चंबल प्रोग्रेस-वे (atal progress way) बनकर रहेगा। कई बार अन्य विभागों से आपत्तियां आती है, उनका निराकरण करके काम को आगे बढाया जाएगा। मंत्री कुशवाह (minister kushwah) ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि जल्द ही अटल एक्सप्रेस-वे का काम शुरू होगा।   

बदलाव के साथ बनेगा अटल प्रोग्रेस-वे 

अटल एक्सप्रेस-वे (atal progress way) 32 किमी बीहड़ के साथ साथ 7 किमी इको सेंसिटिव जोन से गुजरेगा। प्रोजेक्ट की लागत 500 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी। रास्ता भी 5 किमी छोटा होगा। इसके साथ ही पहले जानवरों के लिए प्रोग्रेस-वे पर 402 करोड़ के कॉरिडोर बनने थे, अब 85 करोड़ के बनेंगे। पुरानी प्लानिंग में 403 हेक्टेयर जंगल का हिस्सा एक्सप्रेस-वे (atal progress way) के कारण खत्म हो रहा था। नई प्लानिंग के बाद केवल 12 हेक्टेयर जंगल ही प्रोजेक्ट की जद में आएगा। ये नियम है कि एक पेड़ काटने पर 10 पेड़ लगाने पड़ेंगे। पुरानी प्लानिंग में चंबल नदी (chambal river) के किनारे लाखों पेड़ काटकर 240 करोड़ रुपये की लागत के पेड़ लगाने थे। लेकिन अब नई प्लानिंग के बाद 22 करोड़ के पेड़ लगेंगे।

 


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News Editor

Devendra Singh

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