खैरागढ़ में दुकान नीलामी रद्द होने के बाद भी कब्जा बरकरार, 64.77 लाख के मामले पर उठे

Friday, Dec 19, 2025-08:14 PM (IST)

खैरागढ़ (हेमंत पाल) : खैरागढ़ जिला मुख्यालय में 64.77 लाख रुपये की दुकान नीलामी में अनियमितताओं के खुलासे के बाद भले ही नगर पालिका खैरागढ़ ने 11 दुकानों की नीलामी निरस्त कर दी हो और शासन ने सीएमओ व राजस्व प्रभारी को निलंबित कर दिया हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। नीलामी रद्द होने के बावजूद मणिकंचन केंद्र धरमपुरा और फतेह मैदान परिसर की अधिकांश दुकानों पर अब भी बोलीकर्ताओं का कब्जा कायम है जिससे पूरे मामले पर नए और गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, नीलामी निरस्त होने के बाद भी कई दुकानों के ताले तक नहीं खुले हैरानी की बात यह है कि कुछ बोलीकर्ताओं ने इन दुकानों को आगे एक एक साल के लिए किराए पर भी दे दिया है। यानी जिस नीलामी को शासन और नगर पालिका ने अवैध माना उसी के आधार पर सार्वजनिक संपत्ति का खुलेआम व्यावसायिक उपयोग जारी है। इससे संदेह और गहराता है कि नीलामी निरस्तीकरण कहीं फाइलों तक ही सीमित तो नहीं रह गया।

सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि प्रशासन को स्थिति की जानकारी होने के बावजूद अब तक न तो दुकानों को सील किया गया है और न ही कोई ठोस बेदखली कार्रवाई दिखाई दी है। जानकारों का कहना है कि यदि नीलामी अवैध थी तो उस पर आधारित कब्जा भी स्वतः अवैध है। ऐसे में पालिका की चुप्पी मिलीभगत और संरक्षण की आशंका को मजबूत करती है।

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शिकायतकर्ता आदित्य सिंह परिहार ने कहा कि नीलामी निरस्त होने के बाद भी कब्जा बने रहना कानून और शासन आदेशों की खुली अवहेलना है। उन्होंने जिला कलेक्टर और नगरीय प्रशासन विभाग से दुकानों को तत्काल सील करने अवैध कब्जा हटाने राजस्व हानि की वसूली और जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है। चेतावनी दी गई है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो मामला राज्य स्तर तक ले जाकर न्यायालय की शरण ली जाएगी।

इधर नगर पालिका की ओर से प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी अविनाश देवांगन ने बताया कि नीलामी निरस्त की गई 11 दुकानों के बोलीकर्ताओं को नोटिस जारी कर तीन दिवस में स्वेच्छा से दुकान खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। तय समय सीमा में पालन नहीं होने पर नियमानुसार कब्जा हटाने और दुकानों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या कार्रवाई कागजों से निकलकर जमीन पर भी दिखाई देगी या फिर यह मामला फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।


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meena

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