समाज के लिए मिसाल बनी दिव्यांग, स्कूली छात्रों के नाम की करोड़ों की संपत्ति
5/6/2019 3:41:58 PM
इंदौर: शहर की एक दिव्यांग टीचर ने समाज को एक बेहद सकारात्मक उदाहरण दिया है। जिस स्कूल में उसने शिक्षिका बन कर विद्या का दान दिया उसी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के नाम अपनी करोड़ों की प्रॉपर्टी भी कर दी। वे बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग और हड्डियों की गंभीर बीमारी से परेशान हैं और पूरी तरह से दूसरों पर आश्रित हैं। अब इस टीचर ने अपनी वसीयत भी तैयार करवा ली। जिसमें उन्होंने अपने स्कूल के ऐसे 6 बच्चों को अपना उत्तराधिकारी बनाया जो पढ़ने में मेधावी हैं।
जानकारी के अनुसार, इंदौर की जबरन कॉलोनी के मिडिल स्कूल में कार्यरत महिला टीचर का नाम चंद्रकांता जेठवानी है। उनके माता पिता व दो बड़े भाई थे जिनकी मृत्यु हो चुकी है। बड़ी बहन ऊषा मुंबई के गुरुद्वारे में सेवा करती हैं। चंद्रकांता ‘ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा’ नाम की बीमारी से जूझ रही हैं। इस बीमारी में हड्डियां इतनी कमजोर होती हैं कि थोड़ा सा धक्का लगने पर ही टूट जाती हैं। कुछ दिन पहले घर में गिर जाने की वजह से उनके शरीर की 6 हड्डियां टूट गई थी। वह घर में अकेली रहती है और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की मौत हो चुकी है।
चंद्रकांता जिस स्कूल में बतौर अध्यापिका कार्यरत है उसने उसी स्कूल के 6 मेधावी छात्र-छात्राओं के नाम अपनी वसीयत लिखवाई हैं। जिन 6 बच्चों का चयन चंद्रकांता ने किया है उनमें से 5 मुस्लिम लड़के हैं, जबकि एक हिंदू लड़की है। वसीयत के मुताबिक सभी बच्चों के बालिग होने पर उनके हिस्से का पैसा बैंक मे जमा कर दिया जाएगा।
चंद्रकांता अपने अकेलेपन से डर गई हैं और उनका कहना है कि वह जून में होने वाले वर्ल्ड कप को देखना चाहती हैं। इसके बाद वे पीएम मोदी से इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए पत्र लिखेंगी। चंद्रकांता का कहना है कि वे आत्महत्या नहीं करेंगी क्योंकि वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। चंद्रकांता ने बताया कि उन्होंने अंग दान के लिए पत्र भरा हुआ है, ऐसे में उनकी सामान्य मौत जरूरी है।
चंद्रकांता का शरीर इतना कमजोर है कि खुद से न उठ सकती हैं न बैठ सकती हैं। बावजूद इसके वे अब भी स्कूल जाती हैं। चुनाव के चलते स्कूल में शिक्षकों की मौजूदगी जरूरी है। उन्होंने अपनी सहायता व देख रेख के लिए नौकर रखे हैं। जो उन्हें व्हीलचेयर सहित ऑटोरिक्शा में बैठाती है। स्कूल पहुंचने पर दो लोग उन्हें उतारते हैं। इसके बाद वे दिनभर स्कूल में व्हीलचेयर पर बैठकर काम करती हैं।