अब MP का सहकारिता विभाग बनेगा डिजिटल, लोगों को मिलेगी ये सुविधा

2/10/2019 11:56:34 AM

भोपाल: मध्यप्रदेश में सहकारिता विभाग ने लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए नया कदम उठाया है। नए साल की शुरूआत से ही सहकारिता विभाग ने कोशिश की है कि विभाग ने घोटालों और गड़बड़ियों से जो साख गंवाई थी। उसे कुछ हद तक वापस कमाया जा सके इसलिए सहकारिता विभाग ने हाईकोर्ट की तर्ज पर डिजिटल प्लान अपनाया है।





सहकारिता विभाग पर दागों को मिटाने की कवायद शुरू
कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने और कर्जमाफी के आदेश के बाद सहकारिता विभाग में घोटालों और फर्जीवाड़ों की फाइलों पर से धूल हटना भी शुरू हो गई है। सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने आरोप लगाए हैं कि 'पिछली सरकार में किसानों को कर्ज देने में करीब 2 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ है। ऐसे में सहकारिता विभाग पर लगे दागों को मिटाने के लिए विभाग ने पहल की और लोगों में कोई साख फिर से पाने के लिए डिजिटल प्लान बनाया है।' इसमें हाईकोर्ट की तर्ज पर सहकारिता विभाग घर बैठे ही लोगों को राइट टू इन्फॉर्मेशन (आरटीआई) की जानकारी उपलब्ध करवा रहा है।




सहकारिता विभाग किसी भी जानकारी के लिए आए आरटीआई आवेदन को विभाग पोर्टल पर अपलोड करता है, जिसके बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर जनरेट होता है। रजिस्ट्रेशन नंबर आरटीआई कर्ता के मोबाइल नबंर और ईमेल फर भेजा जाता है। रजिस्ट्रेशन नंबर से आरटीआई कर्ता कहीं भी बैठकर विभाग की वेबसाइट से सारी जानकारी ले सकता है। वेबसाइट पर कोई प्रकरण कितने दिन लेट हुआ है या प्रकरण में क्या अपडेट हुआ है कि जानकारी भी मैसेज के जरिए मिलेगी। साल 2018 में सहकारिता विभाग में कुल 435 आरटीआई लगी थी. इस साल एक जनवरी तक 21 आरटीआई फाइलें लगी है। 




लोगों को मिलेगा परेशानी से छुटकारा
नए साल से शुरू हुए इस नवाचार से सहकारिता विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है। सहकारिता विभाग के उपायुक्त विनोद सिंह ने कहा कि 'इससे न सिर्फ लोगों को सहुलियत मिलेगी। डाक से जानकारी भेजने में लोगों को होने वाली देरी से बचा जाएगा, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता भी आएगी'।  हालांकि सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह का कहना है कि सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए यह प्लान शुरू किया गया है और धीरे-धीरे इसे और ठीक किया जाएगा।
 

 

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