बीमारी ने छीन ली आंखों की रोशनी, फिर भी हौसले की भरी उड़ान, अब पंचायत में बैठकर कर रहा निशुल्क केवाईसी

3/18/2023 4:37:57 PM

मंदसौर/सुवासरा (राहुल धनगर): अपंगता किसी की कमजोरी नहीं बन सकती है। यह साबित करने की राह पर चल पड़ा है, मंदसौर जिले के गरोठ जनपद के ढलमु गांव का 24 वर्षीय मोहन, करीब 10 साल पहले बीमारी के कारण उसकी आंखें चली गई। उसके बाद मोहन ने ब्रैल सीखी इन दिनों जोधपुर राजस्थान में बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। मोहन का सपना आईएएस बनने का है, इसलिए पढ़ाई के साथ ही वह पीएससी की तैयारी भी कर रहा है।

मोहन इन दिनों होली की छुट्टियों पर घर आया है और गांव की लाडली बहनों के जीवन में खुशियों के रंग भरने का काम कर रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने लाडली बहना योजना शुरू की है।  इसके लिए 23 वर्ष से अधिक महिलाओं के केवाईसी का काम चल रहा है। कियोस्क सेंटरो पर जाए इसके लिए महिलाओं को पैसे खर्च करने पड़ते  हैं, मोहन यही काम पंचायत में बैठकर निशुल्क कर रहा है।

मोहन अधिकांश काम ब्रेल लिपि से करता है लेकिन टेक्नोलॉजी ने उसके जीवन में काफी बदलाव ला दिया है। नान विजिबल डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर की मदद से काम करता है, यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर की स्क्रीन पर लिखी हुई सामग्री पढ़कर सुनाता है। इससे मोहन का काम काफी आसान हो गया है। इसी तरह मोबाइल पर वज इंस्टा रीडर नामक सॉफ्टवेयर की मदद से काम करता है।

मोहन को वर्ष 2012-13 में बुखार आया था। उस समय वह कक्षा आठवीं का विद्यार्थी था। बुखार के कारण उसका रेटिना खराब हो गया और उसे दिखना बंद हो गया। पत्नी के देहांत पर टूटा मनोबल मोहन ने अपने साथ में पढ़ने वाली नागौर राजस्थान की निवासी जन्माधु पूजा शर्मा से प्रेम विवाह किया। इनका विवाह नारायण सेवा संस्थान ने 6 मार्च 2022 को करवाया था।

यह खुशी मोहन के जीवन में अधिक दिनों तक में नहीं रही। करीब 8-9 महीने पहले पूजा पैर फिसलने के कारण छत से गिर गई। उसे ब्रेन हेमरेज हुआ, काफी इलाज करवाया लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी। पूजा ने मोहन को आईएएस अधिकारी बनने की प्रेरणा दी थी ओर वह खुद आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी।

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