चलती ट्रेन से कूदी जिला पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका अध्यक्ष, बड़ा हादसा टला

2/2/2023 6:32:49 PM

छतरपुर(राजेश चौरसिया) :छतरपुर जिला मुख्यालय में एक बेहद हास्यास्पद वाक्य घटित हुआ जिसमें जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने चलती ट्रेन से कूद पड़ी। बड़ा हादसा होने के अंदेशे में जनप्रतिनिधियों की इस लापरवाही पर आम नागरिकों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

●यह है पूरा मामला…

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत आज छतरपुर जिला मुख्यालय के महाराजा छत्रसाल रेलवे स्टेशन से यात्रियों का एक जत्था तीर्थ यात्रा के लिए रवाना होना था। जहां सियासत में फोटो खिंचवाने की होड़ में छतरपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष विद्या देवी अग्निहोत्री और नगर पालिका अध्यक्ष ज्योति सुरेंद्र चौरसिया भी इस मुहिम में शामिल थी। हरी झंडी दिखाते ही ट्रेन रवाना हुई पर फोटो खिंचवाने और वीडियो बनवाने के चक्कर में दोनों ट्रेन में चढ़कर टहलने लगीं। इसी दौरान ट्रेन चल पड़ी। आनन-फानन में दोनों जनप्रतिनिधि चलती ट्रेन से कूद पड़ी। इस दौरान वह गिरते-गिरते बचीं और समय रहते उन्हें संभाला गया जिस कारण उन्हें बड़े खतरे से बचा लिया गया। इस वाकये से बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी।

●लोग कर रहे कड़ी निंदा..

मामले में मौजूद रेलवे स्टेशन पर स्थानीय नागरिकों और कांग्रेस के कार्यकारी जिला अध्यक्ष ने कड़ी निंदा की और कहा कि यह कृत्य यदि कोई आम नागरिक करता है तो वह सजा का भागीदारी हो जाता है। अतः इस तरह की अशोभनीयता वह भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की गैर जिम्मेदाराना हरकतें निंदनिय हैं।

●गलती स्वीकारी…

मामले में जब जिला पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका अध्यक्ष से बात की तो उन्होंने साफतौर पर अपनी गलती स्वीकारी और कहा कि हां हमसे गलती हुई है। हमें चलती ट्रेन से नहीं कूदना चाहिए था। इससे बड़ा हादसा हो सकता था जान भी जा सकती थी।

●कांग्रेस के गंभीर आरोप…

कांग्रेस के कार्यकारी जिला अध्यक्ष अनीश खान ने इस मामले में कहा कि जब एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस तरह के कृत्य करेंगे तब आम नागरिक की फिर क्यों सजा का भागीदारी बनाते हैं। ऐसे जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को इस तरह की हरकत नहीं करना चाहिए इन पर भी कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये। दोनों जनप्रतिनिधि जिला पंचायत अध्यक्ष और नगरपालिका अध्यक्ष भाजपा से हैं जिससे सिद्ध होता है कि चाल, चरित्र और चेहरे वाली भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है।

●नहीं की कोई कार्यवाही…

मामले में हमने स्टेशन मास्टर से बात की तो उनका कहना है कि अगर इस तरह की हरकत की गई है तो यह बिल्कुल गलत है। हालांकि इस मामले पर उन्होंने भी कार्यवाही से इन्कार किया है।

●रेल प्रशासन निष्क्रिय और नतमस्तक…

लोगों की मानें तो उनका आरोप है कि अगर यही कृत्या आम नागरिक ने किया होता तो यही रेलवे के अधिकारी कर्मचारी उन पर तत्काल कार्रवाई करते हुए कानूनी पाठ पढ़ा देते। पर यहां जनप्रतिनिधियों की बेज़ा हरकत से रेल प्रशासन भी नतमस्तक और निष्क्रिय है।

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