किन्नरों ने मनाया बाल किन्नर का जन्मदिन, कहा- इसे पढ़ा लिखाकर सरकारी अफसर बनाएंगे, अपनी तरह नहीं...

10/11/2022 7:02:55 PM

खंडवा(निशात सिद्दिकी): किन्नर समाज को अक्सर लोग बुरी नजर से देखते हैं लेकिन किन्नरों की अपनी एक दुनिया है ऐसे ही एक बाल किन्नर का जन्मदिन बनाने का वीडियो इन दिनों खंडवा की सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें एक बाल किन्नर का जन्मदिन मनाते हुए किन्नर उसे सरकारी अफसर बनाने की बात करते नजर आ रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार वायरल वीडियो खंडवा के छनेरा का है जहां एक जन्मजात किन्नर का जन्मदिन मनाया जा रहा था। किन्नर समाज की एक किन्नर ने बताया कि वह उसे किन्नरों की तरह भिक्षा मांगने नहीं देंगे बल्कि उसे पढ़ा लिखा कर सरकारी अफसर बनाएंगे। ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने जैसी अन्य लोगों की भी मदद कर सके।

खंडवा के छनेरा में रहने वाली बाल किन्नर संगीता का 13वां जन्मदिन किन्नर समाज के लोगों ने बड़ी धूम-धाम से मनाया। जन्मदिन का यह वीडियो सोशल मीडिया पर अब खूब वायरल हो रहा है। जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं। इस वायरल वीडियो की खास बात यह है कि इसमें किन्नर समाज के लोग बाल किन्नर को अपनी तरह मांगने खाने वाला नहीं बनाना चाहते, बल्कि वह यह कहते नजर आ रहे हैं कि उसे पढ़ा लिखा कर वह सरकारी अफसर बनाना चाहते हैं। इसी लिए लोग भी किन्नर समाज की सोच को सराह रहे हैं।

किन्नर समाज की सितारा मौसी ने बताया कि हरसूद की रहने वाली किन्नर गुरु माला मौसी को एक परिवार ने अपने यहां जन्म लेने वाली जन्मजात किन्नर को दे दिया था। माला मौसी ने उसे स्कूल में दाखिल कराया और अब उसे अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रही है। सितारा मौसी ने बताया कि बाल किन्नर संगीता छनेरा सरकारी स्कूल में छठवीं कक्षा में पढ़ रही है, हम सभी किन्नर समाज की यह सोच है कि बाल किन्नर बड़ी होकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सरकारी अफसर बने। ताकि वह अपने किन्नर समाज के लोगों की मदद कर पाए। लोग किन्नरों को भी सम्मान की नजरों से देखें और उनका अपमान ना करें। बाल किन्नर के जन्मदिन पर पंधाना की रोशनी मौसी और सिंगोट की करिश्मा मौसी ने भी खूब आशीर्वाद दिया।

किन्नर गुरु माला मौसी ने बताया कि जन्म से किन्नर पैदा हुई संगीता को उन्होंने जन्म के 1 दिन बाद से ही अपने पास रख कर पाला है। वह उसे खूब पढ़ाना चाहती है ताकि वह बड़ी होकर किन्नर समाज का नाम रोशन कर सकें। इसलिए वह उसे किन्नरों की तरह ना रख कर एक आम बच्चे की तरह पढ़ाई लिखाई पर पूरा ध्यान देती है। ताकि वह किन्नरों की तरह भिक्षा मांगकर ना खाएं बल्कि अपने पैरों पर खड़ी हो सके।

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