मार्केट में 30 रुपए किलो बिकने वाला प्याज खंडवा में 25 पैसे में बिका, मंडी में भाव नहीं मिलने से परेशान किसान

5/28/2022 6:09:21 PM

खंडवा(निशात सिद्दिकी) : प्याज के भाव चाहे आसमान पर हो या जमीन पर हमेशा लोगों को हैरान करते हैं। प्याज के बढ़ते घटते भाव अक्सर किसान और आम इंसान को रुलाते रहते हैं। इस बार प्याज किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। भाव नहीं मिलने से किसान अपनी फसल को बेभाव बेचने को मजबूर है। आज खंडवा में किसान मजदूर संघ के किसानों ने खंडवा कलेक्टर परिसर के पास टेंट लगा कर मात्र 1 रुपए में 4 किलो प्याज बेचा। किसानों ने आरोप लगाए कि प्याज की फसल को लेकर सरकार किसानों पर ध्यान नहीं दे रहीं है। सरकार को किसानों से समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदनी चाहिए। या प्याज का समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए। वरना किसान आंदोलन करेंगे।

खंडवा के जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर के पास किसान मजदूर संघ ने प्याज की घटती कीमतों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यहां किसानों ने विरोध स्वरूप एक रुपए में 4 किलो प्याज बेची। किसान मजदूर संघ का कहना है कि सरकार समर्थन मूल्य पर प्याज नहीं खरीद रही है। जब प्याज की कीमतें बढ़ती है तो सरकार विदेशों से खरीद कर लाती है। लेकिन अपने किसानों की प्याज का समर्थन मूल्य तय नहीं कर पा रही। किसान लागत से भी बहुत कम दाम में अपनी प्याज की फसल बेचने को मजबूर है।

भारतीय किसान मजदूर संघ के महामंत्री सीताराम इंगला ने बताया कि आज किसानों की जो दुर्दशा हो रही है। उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। किसान ने भरपूर मेहनत कर फसल पैदा की लेकिन शासन खरीदने में विफल हो गया है। सरकार ने पीछा छुड़ाने के किए अनेक प्रकार की योजनाएं किसान के मत्थे मढ़ दी है। आज किसान 25 पैसे प्रति किलो प्याज बेचने को मजबूर है। लेकिन सरकार खरीद नहीं रही है। जब प्याज का रेट बढ़ता है तो भाव उतारने के लिए सरकार विदेश से प्याज बुलवा लेती है। तो क्या सरकार यहां से प्याज नहीं खरीद सकती क्या? अगर सरकार किसानों को बचाना चाहती है तो यहां के किसानों का पूर्ण सहयोग करें। सरकार प्याज खरीदी करें, मूंग खरीदी करे, सभी तरह की खरीद की जिम्मेदारी सरकार की है। अगर किसान को घाटा जाता है तो सरकार को आगे आकर किसानों को मदद करनी चाहिए।

भारतीय किसान मजदूर संघ के के महामंत्री सीताराम इंगला ने कहा कि आज किसान को प्याज और 12 रुपए प्रति किलो लागत लगती। अगर वह 10 रुपए में बेचता है तो उसे 2 रुपए का घाटा होता है। लेकिन आज 4 रुपए और 5 रुपए प्रति किलो मंदी में प्याज बिक रहा है। ऐसी हालत में किसान को जहर खाने के अलावा कोई चारा नहीं सूझता। क्योंकि उसके वह जितना पैसा मजदूरों को देता उतना भी नहीं निकलता ऊपर से किराया -भाड़ा, ट्रांसपरटिंग अलग से।

सीताराम इंगला ने कहा कि सीएम शिवराज सरकार को किसान हितैषी बताते हैं। लेकिन हमें तो लगता नहीं कि सरकार किसान हितैषी है क्योंकि जमीनी स्तर पर तो कुछ भी नहीं है। इस आंदोलन में किसानों से प्याज ख़रीदने आए खरीददार सुभाष पवार ने बताया कि किसानों को होने वाली दिक्कतों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए। ताकि उनका जीवन भी खुशहाल हो सकें।

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This news is Content Writer meena