बेटे को पेरोल पर घर भेज दीजिए दादा बनना चाहता हूं...बहू का अकेलापन देखा नहीं जा रहा, दुष्कर्म और हत्या के आरोपी बेटे के लिए पिता की अनोखी अपील

5/18/2023 6:19:42 PM

ग्वालियर(अंकुर जैन): शिवपुर में एक पत्नी और पिता ने ग्वालियर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे बेटे की पेरोल के लिए एक बेहद अनोखी गुहार लगाई है। पत्नी और पिता का कहना है कि वे उनके बेटे को पेरोल दे दे ताकि उनका वंश आगे बढ़ सके। पिता का कहना है कि यदि उसका बेटा घर आ जाएगा तो उसकी बहू के बच्चा हो जाएगा। वह अपने पोते/पोती का मुंह देख पाएगा और उसका बुढ़ापा अच्छे से गुजर जाएगा। इस अजीबोगरीब आवेदन से जेल प्रशासन भी सकते में आ गया है। यह परिवार शिवपुरी जिले का रहने वाला है। सेंट्रल जेल से अनुशंसा के लिए आवेदन को शिवपुरी एसपी के यहां भेज दिया है।

ग्वालियर सेंट्रल जेल में पैरोल की छुट्टी के लिए एक अजीब और गजब सी बात लिख कर आवेदन प्राप्त हुआ है यह आवेदन शिवपुरी निवासी एक महिला ने लगाया है उसका पति शादी के ठीक बाद मर्डर और बलात्कार के केस में सात साल से जेल में बंद है। शादी के बाद वह इतना भी साथ नहीं रह पाई कि उसे कोई बच्चा का सुख मिल पाता और उसके ससुर ने भी कहा है कि अगर मेरा बेटा घर वापस आ जाए या कुछ समय के लिए तो उसे भी इस जीवन में नाती पोता खिलाने के सुख मिल जाएगा। शिवपुरी शहर के मनियर क्षेत्र के रहने वाले ससुर बहू कई दिनों से परेशान है। पैरोल से संबंधित अधिकारियों को कई आवेदन दे चुके है लेकिन बेटे को पैरोल नहीं मिल पा रही है। इस बार उन्होंने मन की बात को सार्वजनिक कर दिया। उन्होंने सेंट्रल जेल व पुलिस अधिकारियों को बता दिया कि मेरा बेटा शादी के एक साल के ही अंदर हत्या और दुष्कर्म के केस में फंस गया था और जेल चला गया था। शादी की खुशियां भी अच्छे से नहीं मन पाई थी अब बुढ़ापे में इस जीवन में दादा का सुख मिल जाए व बहू को अकेलापन दूर करने के लिए एक बेटा व बेटी मिल जाये तो सभी की बहुत कृपा होगी। यह सब तभी संभव है जब जेल में बंद बेटे को पैरोल मिल सके। पैरोल के लिए पुलिस की अनुशंसा जरूरी होती है।

जेल में बंद बेटे दारा सिंह जाटव के पिता करीम सिंह जाटव का कहना है कि मेरी बहू सीमा व मैंने आवेदन को सेंट्रल जेल में अधीक्षक को दिया है उसमें यह भी बताया है कि मेरी पत्नी भी अब बुजुर्ग है उसकी तबियत भी खराब रहती है और वो भी बेटे से मिलना चाहती है व इस उम्र में उसकी भी दादी अम्मा बनने की इच्छा है। इसी सोच में वो दिन पे दिन बीमार होती चली जा रही है।

मामले में ग्वालियर सेंट्रल जेल अधीक्षक विदित सुरवैया का कहना है कि 302,376 जैसे अपराध में अपराधी को पैरोल देना नियम में नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर स्थानीय जिला प्रशासन पुलिस अधीक्षक एवं कलेक्टर का प्रशंसा पत्र मुहर लग जाती है तो फिर जमानत दे सकते हैं। क्योंकि ऐसे अपराधी को इस तरह के अपराध में बाहर छोड़ना ठीक नहीं है।

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