वनरक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी ने दोहराई कछुए और खरगोश की कहानी, दौड़ते दौड़ते आराम करने रुका तो लग गई नींद, गई नौकरी

3/29/2023 3:36:21 PM

खंडवा(निशात सिद्दीकी) : आपने बचपन में हिंदी विषय में खरगोश और कछुए के बीच दौड़ की कहानी जरूर पढ़ी या सुनी होगी। इसमें फर्राटे भरने वाला खरगोश अति आत्मविश्वास के कारण दौड़ में कछुए से भी हार गया था। यह कहानी मंगलवार को खंडवा में वनरक्षकों की भर्ती दौड़ में भी चरितार्थ होती दिखी। दरअसल खंडवा में वनरक्षक भर्ती परीक्षा हो रही थी जिसके तहत वन विभाग में यहां 24 किमी की दौड़ रखी थी। इस दौड़ में तोड़ रहे एक प्रतिभागी उन्हें बेहतर प्रदर्शन करते हुए मात्र 3 घंटे में 21 किमी की दूरी तय कर ली उसके बाद उसे लगा कि सभी प्रतिभागी उससे कई किमी पीछे हैं। उसने आराम करने का सोच लिया बस यही आराम उसके हार का कारण बन गया जब आराम करने रोड के किनारे एक जगह पर लेट गया तो उसे ऐसी नींद लगी कि दौड़ खत्म होने के बाद भी उसकी नींद नही खुली। उसे वन अमले ने जाकर जगाया तब तक देर हो चुकी थी।

खंडवा में वनरक्षक भर्ती परीक्षण के तहत इस भर्ती के लिए 24 किलोमीटर की दौड़ 4 घंटे में पूरी करनी थी। इस भर्ती परीक्षा में मध्य प्रदेश के 16 जिलों के युवकों ने भाग लिया। मंगलवार सुबह एक साथ 61 युवाओं ने दौड़ शुरू की। इसमें मध्यप्रदेश के  डबरा से आए एक उम्मीदवार पहाड़ सिंह भी दौड़े। पहाड़ सिंह ने तीन घंटे में ही लगभग  21 किमी की दूरी तय कर ली।

जब पहाड़ सिंह ने  पीछे मुड़कर देखा तो दूसरे प्रतिभागी उन्हें दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिए। तब उसने सोचा कि इन लोगों को आने में बहुत देर लगेगी इसलिए थोड़ा आराम कर लेते हैं।  बस यही गलती उसकी अच्छी भली होती जीत को हार में बदल गई। पहाड़ सिंह सड़क किनारे खड़े डंपर की आड़ में लेट गया। इसी बीच पहाड़ सिंह को थकान के चलते नींद लग गई। नींद भी ऐसी लगी कि दौड़ का समय खत्म होने के बाद तक वहीं सोता रहा।

इधर दौड़ पूरी होने के बाद जब वन अमले ने धावकों की गिनती की तो पहाड़ सिंह गायब था। उसे ढूंढने के लिए वन अमला गाड़ी लेकर निकला तो वह सड़क किनारे सोता मिला। थोड़े से आलस्य के कारण पहाड़ सिंह सबसे क्षमतावान होने के बावजूद वनरक्षक की भर्ती से बाहर हो गया जबकि दौड़ में हिस्सा लेने वाले अन्य सभी 60 युवाओं ने दौड़ की परीक्षा पास कर ली।

डीएफओ देवांशु शेखर ने बताया मंगलवार को अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक-युवतियों के लिए वनरक्षक पद की भर्ती के लिए दौड़ की परीक्षा थी। खंडवा जिले के लिए 38 पद हैं। इन पदों के लिए तीन गुना फार्म भरे गए थे। इनमें से 61 युवा (9 महिला व 52 पुरुष) अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे। परीक्षा के प्रथम चरण में पुरुषों के लिए 24 और महिलाओं के लिए 14 किलोमीटर की दौड़ रखी गई थी। इसे 4 घंटे में पूरी करना थी। सुबह साढ़े 6 बजे केंद्रीय विद्यालय से दौड़ शुरू कर अमलपुरा तक जाना और फिर स्कूल तक ही सुबह साढ़े 10 बजे तक वापस आना था। युवक- युवतियों ने दौड़ शुरू की। इसमें एक को छोड़कर शेष 60 अभ्यर्थियों ने समय पर दौड़ पूरी कर ली। लेकिन एक अभ्यर्थी पहाड़ पिता प्रेम सिंह (21) निवासी पिछोर गढ़ी ग्राम (डबरा) नहीं लौटा। वह दौड़ पूरी होने के तीन किमी पहले सो गया।

रेंजर जेपी मिश्रा ने बताया कि वन स्टाफ द्वारा दौड़ के रास्ते में जगह-जगह चेकपोस्ट लगाए गए थे। चेकपोस्ट पर खड़े कर्मचारियों ने बताया कि 21 किमी की दूरी पहाड़ सिंह ने सुबह 9:17 बजे महज तीन घंटे में पूरी कर ली थी। दौड़ में सबसे आगे पहाड़ सिंह ही था। लेकिन वह रास्ते में रुक गया और दौड़ खत्म होने के बाद भी सोता रहा। जबकि वह दौड़ पूरी करने से महज तीन किमी ही दूर था। बाद में वन अमले की टीम ने उसे जगाया।

वहीं पहाड़ सिंह ने कहा कि मैं एक साल से आर्मी की तैयारी कर रहा था। सुबह उठकर रोज रनिंग करता था। वन रक्षक की दौड़ में सबसे आगे मैं ही था लेकिन पैर में छाले आ गए थे। थक भी गया था तो सोचा कि अभी तो सभी बहुत दूर हैं तो थोड़ा बैठ जाता हूं। लेकिन नींद ऐसी लगी कि दौड़ खत्म होने के बाद भी नहीं टूटी। मुझे बहुत दुःख हुआ कि जीतते-जीतते मैं हार गया। थोड़े से आलस्य ने मेरी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया।

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This news is Content Writer meena