''जन अभियान परिषद'' में ताला लगाने की तैयारी में सरकार, 600 परिवार पर संकट

2/18/2019 11:09:07 AM

भोपाल: मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब उन संस्थाओं पर गाज गिरना शुरू हो गई है जो बीजेपी सरकार के कार्यकाल में फल फूल रहे थे। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही सबसे पहले ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई करने का मन बना लिया है। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद को भंग कर उनके कर्मचारियों और अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पूरी तरह से योजना तैयार कर ली है। जन अभियान परिषद को बंद करने से वहां काम करने वाले 615 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी। जिससे उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
 




सूत्रों के अनुसार, इस माह के अंत तक इन सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर बाहर कर परिषद में ताला लगाने का प्लान तैयार कर लिया है। जन अभियान परिषद का गठन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अंतर्गत 4 जुलाई 1997 को किया गया था। इसके बाद से परिषद ने ग्राम विकास के क्षेत्र में कार्य किया है।




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बता दें, जन अभियान परिषद का गठन दिग्विजय सिंह की सरकार के समय हुआ था। लेकिन बीजेपी की सरकार पर आरोप लगते रहे कि विधानसभा चुनाव में इस संस्था का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों और बीजेपी को चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए किया गया। अब कांग्रेस सत्ता में आई है तो वह यहां काम करने वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के मूड में है।

इस संस्था में 600 से अधिक काम करने वाले कर्मचारियों के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। जिसे लेकर अब सरकार से यहां के कर्मचारी बीच का रास्ता निकाल ने और उन्हें संस्था से बाहर नहीं करने का अनुरोध कर रहे हैं। साथ वह सवाल भी उठा रहे हैं कि सरकार बदले और काम करवाने को लेकर इसमें उनका क्या दोष है जो उनको संस्था से बाहर किया जा रहा है।

 

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