न्यूनतम समर्थन मूल्य पर झूठ बोल रही है सरकारः सुरजेवाला

10/12/2018 5:21:50 PM

भोपाल: प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, एसे में दोनो बड़ी पार्टियों में आरोप व प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार व केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।


 
कांग्रेस प्रवक्ता ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और लागत +50 प्रतिशत का फरेब क्यों किया गया। सुरजेवाला ने कहा कि हार की कगार पर खड़ी मोदी सरकार ने 3 अक्टूबर, 2018 को ‘समर्थन मूल्य’ के झूठ को ‘एक राजनैतिक लॉलीपॉप’ के जुमले की तरह देश के सामने पेश करने का छल किया। सच तो यह है कि न समर्थन मूल्य मिला, और न ही मेहनत की कीमत। न खाद, कीटनाशनक, दवाई, बिजली, डीजल की कीमतें कम हुईं और न ही के फसलों के बाजार भाव का इंतजाम हुआ। क्या झूठी वाहवाही लूटने, अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने, ढ़ोल-नगाड़े बजाने व समाचारों की सुर्खियां बटोरने से आगे बढ़ कर लागत का +50 प्रतिशत मुनाफा किसान को देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता ने रबी सीज़न के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य और लागत +50 प्रतिशत का अंतर दिखाने के लिए एक ग्राफ प्रस्तुत किया।

क्या है रबी सीजन के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य और लागत के +50 प्रतिशत के बीच का अंतर...

इसी प्रकार जुलाई 2018 में खरीफ मार्केटिंग सीज़न 2018-19 के लिए मोदी सरकार ने जो समर्थन मूल्य जारी किया था, उसमें भी किसानों को इसी प्रकार धोखा दिया गया। लागत मूल्य कम करके समर्थन मूल्य घोषित किया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने समर्थन मूल्य देने के लिए लागत मूल्य का निर्धारण स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर नहीं किया है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने घोषणापत्र में भी किसानो से इस बात का वायदा किया था। केंद्र सरकार ने लागत मूल्य का आंकलन (A2+ FL) बिजली, पानी, खाद, बीज, इत्यादि का खर्च परिवार के श्रम के आधार पर समर्थन मूल्य निर्धारित किया, जबकि स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें, किसानों की माँग और मोदी सरकार का वादा C2 (A2 +FL + जमीन का किराया, कर्ज का ब्याज इत्यादि भी शामिल है) के आधार पर सम्रथन मूल्य देने का का था। अगर पिछले साढ़े चार वर्षों में लागत + 50 प्रतिशत मुनाफा सही मायनों में मोदी सरकार ने किसानों को दिया होता, तो लगभग 200,000 करोड़ रुपये से अधिक किसानों की जेब में उनकी मेहनत की कमाई के तौर पर जाता।

 

Vikas kumar

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