क्या शिवराज सरकार ने हनीट्रैप के मामले को दबाने का मन बना लिया है ?
6/4/2020 7:10:48 PM
मध्यप्रदेश डेस्क (हेमंत चतुर्वेदी): हनीट्रैप...ये शब्द सुनते ही आपके दिमाग की रील 8 महीने पीछे घूम गई होगी, जब हुस्न के जाल में फंसे नौकरशाहों और राजनेताओं की करतूतों के खुलासे ने सूबे के साथ पूरे देश को हिला दिया था। सफेदपोशों की कॉलर के न मिटने वाले दाग जब सबके सामने आए, तो हर कोई सन्न रह गया। राजनीति में जितनी हलचल हुई, कमोवेश प्रशासनिक मशीनरी में भी इन खुलासों ने उठापटक मचा दी। पूरा प्रदेश उस वक्त एक बड़े और सनसनीखेज खुलासों की उम्मीद में बैठा हुआ था, लेकिन देखते ही देखते यह मामला कब छुटमुट जमानती तारीखों और राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच दफन होकर रह गया, किसी को पता नहीं चला।
उस वक्त खबरें उड़ी, तो कमलनाथ सरकार ने बड़े बाबुओं और राजनेताओं की निजता या फिर किसी डील के तहत पूरे रिकॉर्ड को अपने पास सुरक्षित कर लिया है, और समय पड़ने पर इसका उपयोग वह अपने हथियार के तौर पर कर सकती है। लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के दौरान ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला, और काफी मौके मिलने के बाद भी अपने बुरे वक्त में कमलनाथ की तरफ से उसका जिक्र तक नहीं किया गया। खैर अब प्रदेश की सरकार और सिस्टम पूरी तरह बदल गया है। हनीट्रैप और उससे जुड़ी हर तरह की जांच शिवराज सिंह के हाथ में है, और उसे लेकर वह अब क्या कुछ करने जा रहे हैं, इस पर भी हर किसी की नजरें टिकी हुई है।
याद कीजिए, हनीट्रैप से जुड़े मामले के खुलासे के बाद जब शिवराज सिंह से इस विषय में सवाल किया गया था, तो उनका कहना था, कि कैसा हनी और किसका ट्रैप मैं इस मामले में कुछ नहीं जानता। उस वक्त शिवराज सिंह एक पूर्व मुख्यमंत्री हुआ करते थे, उनके इस जवाब पर किसी ने उनसे कोई सवाल नहीं किया, लेकिन आज वह प्रदेश के मुख्यमंत्री है, उन्हें हनीट्रैप को जानना और समझना भी होगा, और इस पर अपना स्टैंड भी लेना होगा। लेकिन वह स्टैंड कैसा होगा, यह सवाल अपने आप में काफी अहम है।
इस सवाल पर अगर हम चर्चा करें, तो एक खास पहलू निकलकर सामने आता हैं, दरअसल हनीट्रैप का ये पूरा मामला भले ही कमलनाथ सरकार के वक्त सामने आया। लेकिन इसका बीज शिवराज सरकार में ही फूटा था। जाहिर है, उसी वक्त के रसूखदार लोग शिवराज सिंह के करीबी ही रहे होंगे, जैसा कि कुछ नामों के खुलासों के दौरान सामने भी आया, और सत्ता के शिखर पर बैठा शायद ही कोई शख्स ये चाहे कि उसके शासन पर कोई सवाल उठें, लिहाजा हम यह मान सकते हैं कि सरकार अब इस मामले कोई शायद ही ज्यादा कुरेदे, और किसी और तरह का खुलासा हम लोगों को देखने को मिले।
वैसे एक दूसरे पहलू पर भी गौर कीजिए, दरअसल जिस वक्त हनीट्रैप से जुड़े मामले का खुलासा हुआ था, उस वक्त भाजपा के नेताओं ने एकसुर में होकर कमलनाथ सरकार की शैली पर सवाल खड़े किए थे और मामले को सीबीआई को सौंपने की वकालात की थी, लेकिन अचानक ही न जाने क्या हुआ, कि इस पर उठने वाले सभी सवाल एकाएक दब गए और अब सत्ता परिवर्तन के बाद भी न तो उसमें किसी तरह की प्रगति नजर आ रही है और न ही उस पर कोई उंगली उठा रहा है, मानो सब लोग पहले ही दिन से यह सब चाह रहे थे, और यही चाह हनीट्रैप को लेकर शिवराज सरकार को और शिथिल करने का काम कर रही है।