इस सीट पर कांग्रेस की गुटबाजी से मिल सकता है BJP को बड़ा फायदा

11/3/2018 1:37:58 PM

झाबुआ: वैसे तो झाबुआ विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन जब-जब कांग्रेस में फूट पड़ी। तब-तब इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को ही मिला। 2013 में भी यहां ऐसा ही हुआ, नतीजा यह निकला की कमल खिल गया। बात अगर इतिहास की करें तो झाबुआ विधानसभा पर 2003 में पहली बार कमल खिला और विधायक के रूप में यहां से पवै सिंह पारगी विधानसभा पहुंचे। लेकिन 2008 के चुनाव में एक बार फिर यहां भाजपा की हवा निकल गई और कांग्रेस से जेवियर मेडा चुनाव जीते। 2013 में एक बार फिर यहां वही हुआ। कांग्रेस में फूट पड़ी फायदा भाजपा को मिला। गौर किया जाए तो झाबुआ विधानसभा में भाजपा की जीत का कारण हमेशा से कांग्रेस में मची आपसी कलह ही रही। 
 

इस बार भी समस्या बेहद गंभीर हैं। हर बार की तरह इस बार भी गुटबाजी नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस के दो दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। इनमें से एक हैं जेवियर मेडा, तो दूसरे विक्रांत भूरिया। जो झाबुआ विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार है। टिकट तो किसी एक को मिलना है। इसमें तय है एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी सामने आने वाली हैं। अगर ऐसा हुआ तो इस बार भी फायदा भाजपा को मिल सकता है। 

 
झाबुआ सीट पर इस बार भी भाजपा को घेरने के तमाम मुद्दे हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से दो प्रबल दावेदारों के चलते एक बार यहां गुटबाजी नजर आ सकती है। जो भाजपा के लिए जीत का रास्ता आसान कर सकता है। अगर कांग्रेस यहां एकजुट होकर चुनाव लड़ती है, तो भाजपा के लिए काफी मुश्किल होगी।

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