परिजनों ने डेड बॉडी मांगी तो मारपीट पर उतरा CMO, देखिए गुंडागर्दी का खुला नाच
4/28/2021 6:26:13 PM
बालाघाट(हरीश लिलहरे): नकस्ल जिले बालाघाट में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे सीएमओ देवेंद्र मर्सकोले का एक और कारनामा सामने आया है जहां उन्होंने लांजी के कोविड सेंटर में मृतक के परिजन से मारपीट की वहीं पुलिस बनकर खड़ी रही। वर्तमान लांजी नगर परिषद सीएमओ देवेंद्र मर्सकोले अपनी गैर जिमेदार कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में है। उनका गत 26 अप्रैल को लांजी अस्पताल में कोविड से मृत मरीज के परिजनों को अश्लील गाली गलौज कर मारपीट करने के वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे देखने वाले सीएमओ की गुंडागर्दी करार दे रहे है। वहीं इस घटना की कड़ी निंदा के साथ ही उन पर कार्यवाही की मांग भी हो रही है।
लांजी नगर परिषद के सीएमओ रहते हुए देवेंद्र मार्सकोले पर कोविड से मृत मरीज के परिजन के साथ पुलिस की मौजूदगी में गाली, गलौज कर मारपीट करने की जीवंत घटना, जिले में तेजी से वायरल हो रही है। जिसके बाद भी देवेंद्र मार्सकोले पर कोई कार्यवाही नहीं होना, भले ही समझ से परे हो, लेकिन यह इस संभावना को पुख्ता करता है कि उनकी पैठ राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ से मजबूत है, तभी तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर सरेआम मारपीट करने वाले सीएमओ देवेंद्र मर्सकोले, मारपीट का शिकार युवक को ही गलत बताने में जुटे है। इस मामले में सबसे शर्मनाक बात यह कि इस पूरी घटना में जनसेवा और जनसुरक्षा की बात करने वाली पुलिस तमाशबीन बनकर तमाशा देखती रही, और सीएमओ युवक की सरेआम पिटाई करते रहे।
सीएमओ देवेंद्र मर्सकोले के इस अमानवीय कृत्य को ग़लत करार देते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन से उन पर कार्यवाही की वकालत की है। अब देखना है कि प्रशासन क्या कदम उठता है। वंही उनकी इस घटना के बाद उनको लेकर आ रही जानकारी भी सही नहीं है। एक ख़बर के अनुसार वर्ष 2020 में नगर परिषद शहपुरा में सीएमओ प्रभारी रहते हुए देवेंद्र मार्सकोले पर 2 लाख 71 हजार रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप है। खास बात यह है कि कोरोना कॉल में कोरोना रोकथाम को लेकर शासन द्वारा भेजी गई राशि में ग़बन के साथ ही गरीबों को कोरोना काल मे दिए जाने वाले अन्न में गड़बड़ी की है, जो मानवीयता के नाते भी एक गभीर अपराध है, जिसकी पुष्टि शहपुरा सीएमओ द्वारा जारी पत्र से होती है।
यही नहीं इनके खिलाफ कुछ जागरूक लोगों ने देवेंद्र मार्सकोले की कार्यप्रणाली, अनियमितता और शिक्षा को लेकर जांच की मांग का, मांगपत्र भी बालाघाट जिला प्रशासन को शिकायतकर्ताओं ने सौंपा है, यही नहीं आरटीआई एक्टिविस्ट ने भी उनकी शिक्षा से जुड़ी जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी है, यह और बात है कि अब तक जांच की मांग और जानकारी नही मिल सकी है। इसके पीछे के कारण क्या है, यह तो नहीं पता लेकिन सूत्रों की माने तो इनका राजनीतिक बैकग्राउंड होने से उन पर जिम्मेदार भी हाथ डालने से घबराते हैं।