स्ट्रेचर नहीं मिला तो बीमार मां को कंधे पर लाद कर ले गया बेटा, MP के हेल्थ सिस्टम को इलाज चाहिए

12/13/2020 5:27:44 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): मध्यप्रदेश में भले ही सरकार बदल गई, लेकिन जिला अस्पतालों की सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हुआ, प्रदेश के जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्था को उजागर करने वाली यह तस्‍वीर मानवता को शर्मसार करती है। जहां अपनी मां का इलाज कराने आए युवक को डिस्चार्ज के बाद स्‍ट्रेचर की सुविधा नहीं मिली, तो उसे अपने कंधे पर बैठाकर मेडिकल कॉलेज से बाहर ले जाना पड़ा। युवक की मां के पैर में प्लास्टर लगा हुआ था, जिससे कि वो चलने की हालत में नहीं थी।



युवक दमोह से अपनी मां का इलाज करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचा था, जिसे डॉक्टरों ने एक दिन बाद देर रात 10 बजे डिस्चार्ज कर दिया। रात में उसको वापस जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला, लेकिन गरीब और असहाय की किसी ने एक न सुनी और मेडिकल कॉलेज से बाहर जाने के लिए कह दिया गया। बीमार मां प्लास्टर लगने के कारण खुद चलने की हालत में नहीं थी। मरीज को जब स्‍ट्रेचर नहीं मिला, तो बेटा अपनी मां को पीठ पर लादकर ले जाने पर मजबूर हो गया। इस दौरान किसी ने युवक की मदद नहीं की। अस्‍पताल के कर्मचारी और लोग बस तमाशा देखते रहे।



दमोह के रहने वाले परिवार को जब देर रात डिस्चार्ज कर दिया गया, तो परिवार ने सुबह तक रुकने की बात कही, लेकिन सिक्योरटी गार्ड ने रात में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं स्ट्रेचर नहीं मिलने पर पीठ पर मां को लादकर कर पुत्र मेडिकल कॉलेज से बाहर ले गया और रात भर खुले आसमान में ठंड में चटाई बिछाकर रात बिताई। वहीं सुबह होने पर वह बस से अपने घर को रवाना हुआ. स्ट्रेचर न मिलने पर कर्मचारियों से मदद भी मांगी, लेकिन उसे ना ही स्ट्रेचर मिला और ना ही किसी से मदद। अस्पताल में इलाज के लिए किसी भी तीमारदार ने इस महिला की सुध नहीं ली। सब तमाशबीन बेबस पुत्र को मां को पीठ पर लादे देखते रहे।

पुत्र का आरोप है कि, वो मां को कंधे पर लादकर वार्डबॉय के पास भी गया, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य कर्मी ने उसकी कोई भी मदद नहीं की। अधीक्षक राजेश तिवारी का कहना है कि, मेडिकल अस्पताल में स्ट्रेचर ओर वार्डबॉय हमेशा उपलब्ध रहते हैं और दिनभर में हजारों मरीज आते हैं। रही बात ऐसी तस्वीर की, तो हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। यदि इस तरह का कोई मामला है, तो वार्ड ब्वॉय और सिक्योरिटी गार्ड को नोटिस देकर पूछा जाएगा कि, आखिर स्ट्रेचर का इंतजाम क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि, कमेटी डिसाइड करेगी कि, दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाए।

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