Video: कोरोना से बचना है तो जबलपुर जेल में बन रहे हैं मास्क, महज 7 रुपए में ले जाइए

3/18/2020 5:14:09 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): कोरोना, कोरोना, कोरोना, जी हां यह एक ऐसा नाम है जो आज हर एक शख्स की जुबान पर है। दुनिया भर में इसके कहर से लगभग 8000 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका संक्रमण बढ़ता जा रहा है। अब तक कुल 81 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। जिसमें दिल्ली, कर्नाटक और महाराष्ट्र में तीन मौतें हो चुकी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी वैकसीन पूरी दुनिया में उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि इसकी दहशत से लोग सहमें हुए हैं। सिर्फ परहेज ही इससे बचने का कारगार उपाय है। इनमें महंगे मास्क और सेनिटाइज़र एक हैं जिनके इस्तेमाल से कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है। लेकिन इसमें भी एक दिक्कत यह है कि इतने महंगे मास्क खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है, ऐसे में एमपी के जेल प्रशासन में बंद कैदियों की ये मुहिम देश को एक बड़ा संदेश दे रही है। जी हां, शहर में मास्क की कमी और महंगे दामों के चलते जबलपुर सेंट्रल जेल में कैदी खुद अपने हाथों से मास्क तैयार कर रहे हैं। 



कैदी बना रहे हैं मास्क
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय जेल में बंद कैदी अपने हाथों से मास्क तैयार कर रहे हैं। ये मास्क सूती कपड़े से बनाए जा रहे हैं। अपनी गुणवत्ता और कम कीमत की वजह से ये मास्क लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं और वह भी बाजिव रेट में, महज 7 रुपए में बिक रहे हैं। इनकी खासियत यह है कि सूती कपड़े से बने मास्क को साबुन से धोकर, सुखाकर और प्रेस कर कई सालों तक बार-बार उपयोग किया जा सकता है। जबलपुर केन्द्रीय जेल के कैदियों की पहल की अब हर जगह सराहना हो रही है और अब देश भर की जेलों ने भी मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है। जेल के कैदियों से मास्क बनवाने के सूत्रधार कलेक्टर भरत यादव है,  जिन्होंने इस पूरी योजना को अंजाम दिया है । 



कलेक्ट्रेट में बेचे जा रहे सस्ते मास्क
मात्र 7 रुपए की वजह से ये मास्क जबलपुर के कलेक्ट्रेट कार्यालय में खोले गए मास्क बिक्री काउंटर में प्रतिदिन हाथों-हाथ बिक रहा है। मास्क की मांग को देखते हुए सिलाई मशीनों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। केन्द्रीय जेल अधीक्षक के मुताबिक़ करीब सौ कैदी 50 सिलाई मशीनों से रोज करीब एक हजार मास्क बना रहे हैं।
 

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