राजगढ़ में परिसीमन में एक भी पंचायत नहीं बढ़ी, मापदंड का हवाला देकर नहीं किया गठन

2/24/2022 7:48:04 PM

राजगढ़(सुनील सरावत): पंचायतों के परिसीमन के अंतिम प्रकाशन के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि जिले में नई पंचायत का गठन नहीं होगा। अब पहले की तरह जिले में 622 पंचायत यथावत रहेंगी। ऐसे में पंचायत स्तर के छोटे नेताओं को पंचायतों के गठन की जो उम्मीद थी, वह टूट गई है। जिलेभर के ग्रामीण नेताओं की उम्मीद सत्ता पक्ष के नेताओं से थी लेकिन उनकी उम्मीदों पर अब पानी फिर चुका है जिसके 2 मुख्य कारण हो सकते है? भाजपा की गुटबाजी व कमजोर नेतृत्व है जो प्रशासन के मुखिया से समन्वय नहीं बना पाए। दूसरा प्रशासन की मनमानी! जो भी हो लेकिन सवाल प्रशासन पर उठना लाज़िमी है क्या सेकड़ों आवेदनों में एक भी आवेदन पंचायत बनाने लायक नहीं था! या जानबूझकर जनता के हितों की अनदेखी जिला प्रशासन द्वारा की गई है। मोहनपुरा डेम में डूबी हुई 2 पंचायतों का परिसिमन होना अनिवार्य था लेकिन आखिरी समय में उन 2 पंचायतों का परिसीमन भी नहीं किया गया। तो क्या इसे प्रशासन पर दबाव समझा जाए या फिर मनमर्जी !

यहां मापदंड का हवाला! भोपाल में क्या अलग नियम
मापदंड की दुहाई देने वाले प्रशासन को यह भी जानना चाहिए कि भौगोलिक सीमा से ही लगे जिले जैसे भोपाल, रायसेन, शाजापुर में नई पंचायतों का गठन हुआ है। अकेले भोपाल जिले में 35 पंचायत बनी है। वहां कौन से नियम पर काम किया गया है। इससे पहले प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार थी तब राजगढ़ जिले में 50 के करीब पंचायतों का गठन हुआ था। इस बार भी ग्रामीण क्षेत्र के नेताओं ने सत्ता पक्ष के नेताओं, विधायकों के दरवाजे पर दस्तक के साथ दफ्तरों के भी खूब चक्कर काटे, खूब आवेदन दिए। जिले भर में 900 के करीब आवेदन प्रशासन के पास आए जो या तो मुख्यालय बदलवाना चाहते थे या गांव की बदली करवाना चाहते थे। लेकिन अब अंतिम प्रकाशन के साथ उनकी उम्मीदें भी अंतिम हो चुकी है। सबसे बड़ा झटका तो भाजपा के उन नेताओं को है जो यह उम्मीद लिए बैठे थे अब अपनी सरकार में अपने हिसाब पंचायतों का परसीमन करवाकर अपना भविष्य निर्धारित करने की तैयारी कर रहे थे।

नई पंचायत बनने से नेतृत्व तो उभरता है, विकास भी खूब होता है
जब नई पंचायत बनती है तो नेतृत्व तो उभरता है साथ में गांवों का खूब विकास भी होता है। इसके लिए विशेष मद भी आते हैं। करीब 20 सालों से नई पंचायतों के गठन तथा कई सारे वे लोग जिनके पंचायत मुख्यालय अपने गांव से दूरी पर हैं। वह लोग जरूर राजगढ़ जिले के प्रशासन द्वारा लिए गए फैसले से नाराज हैं। राजगढ़ जिले में ब्यावरा, नरसिंहगढ़, सारंगपुर, खिलचीपुर, जीरापुर में कई ऐसी पंचायतें थी जिसमें नए गठन के साथ ही फेरबदल होना भी आवश्यक था लेकिन इसके पीछे का कारण साफ तौर पर प्रशासन व सत्ता पक्ष के नेताओं का समन्वय नहीं बन पाना है।

इनका कहना है
भाजपा के नेताओं ने प्रशासन से मना किया है। तभी तो नई पंचायतें नहीं बनी है। जब हमारी सरकार थी तब हमने तो नई पंचायतों का गठन कर दिया था। ताकि इससे नए नेता उभरकर सामने आए साथ ही क्षेत्र का संतुलित विकास हो। भाजपा के नेता ग्रामीणों को अनदेखी हमेशा से करते आ रहे हैं।


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meena

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