इलाज के नाम पर 3 माह की बच्ची को गर्म सलाखों से 51 बार दागा, अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही मासूम

1/26/2023 5:20:48 PM

शहड़ोल (अजय नामदेव): आदिवासी बाहुल्य जिला शहड़ोल में दगना कुप्रथा आज भी जारी है। शहड़ोल में निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बच्‍चों को गर्म सलाखों से दागने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। ऐसा ही एक मामला जिला मुख्यालय से सामने आया है जहां निमोनिया व सांस लेने में तकलीफ 3 माह की बीमार मासूम दुधमुंही बच्ची को अंधविश्वास के फेर में परिजनों ने एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि 51 बार गर्म सलाखों से पेट में दागा, जिसके चलते बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ने पर मेडिकल अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया गया है।

शहड़ोल जिला मुख्यालय पुरानी बस्ती निवासी 3 माह की दुधमुंही बच्ची रुचित कोल जन्म के बाद से ही बीमार चल रही थी। निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या हुई तो परिजनों ने इलाज के नाम पर बालिका को गर्म सलाखों से 51 बार दगवा दिया था। बाबजूद इसके भी बच्ची के हालत में सुधार नहीं आया बल्कि गर्म सलाखों से दागने के चलते बच्ची और बीमार हो गई,  बालिका की हालत ज्यादा बिगड़ती देख परिजनों ने उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया है। मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम बालिका को निगरानी में इलाज हो रहा है। जहां बालिका की हालत नाजुक बनी हुई है।

आपको बता दे कि आदिवासी बाहुल्य शहड़ोल जिले में दगना कुप्रथा जारी है। इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को आज भी गांवों में गर्म लोहे से दागा जाता है। जिसके चलते पूर्व में कुछ बच्चों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके अभी भी लगातार दगना के मामले सामने आते जा रहे हैं। जबकि प्रशासन द्वारा बड़े स्तर पर दगना कुप्रथा को लेकर जान जागरूकता चलाया जा रहा, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं पड़ रहा, जिसका नतीजा इस तरह के मामले गाहे बगाहे सामने आते जा रहे है। 

मामले को लेकर कलेक्टर वंदना वैद्य का कहना है कि इस संबंध में जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। गांवों में अभियान चलाएंगे, लोगों को जागरुक करेंगे। वहीं कमिश्नर राजीव शर्मा का कहना है कि दगना के खिलाफ गांवों में अभियान चलाएंगे। ऐसे लोगों की काउंसलिंग कराई जाएगी।

meena

This news is Content Writer meena