आज के युग में भी भैंसे का धड़ करता है, बारिश की भविष्यवाणी

11/9/2018 12:06:23 PM

झाबुआ: आज के तकनीकी युग में यहां हर काम अ़ॉनलाइन होने लगा है। हर बात की खबर इंटरनेट पर मिलती है वहीं आज भी ऐसे लोग है जो पुरानी प्रचलित प्रथाओं पर विश्वास करते हैं। बारिश की जानकारी के लिए भैंसे की बली दी जाती है और उसके सिर की दिशा निर्धारित करती है कि आने वाले समय में बारिश होगी या नहीं जिले के चुई गांव के लोग भेंसे पर ही भरोसा करते हैं और इसी भैंसे की बाद में बलि दे दी जाती है।


दरअसल, झाबुआ में कई तरह की लोक सांस्कृतिक परंपराएं हैं। इनमें से एक परंपरा का निर्वाह हर साल झाबुआ जिले का आदिवासी समाज करता है। झाबुआ से करीब 30 किमी दूर चुई गांव में हजारों की तादात में लोग जमा होते हैं। वाग डूंगरा 300 फीट की छोटी सी पहाड़ी है। जहां आदिवासी समाज के वगेला कुंवर देव का स्थान है। ये स्थान हजारों लोगों की आस्था का केन्द्र हैं। यहां हर साल गुजरात,राजस्थान और मध्यप्रदेश के हजारों लोग पहुंचते हैं। जो लोग पूजा के लिए आते हैं उन्हें पहाड़ी को नंगे पैर ही चढ़ना पड़ता है और इस पहाड़ी पर केवल पुरुष ही पूजा करते हैं। दोपहर में करीब 12 बजे तक हजारों लोग इस पहाड़ी पर जमा हो जाते हैं। पूजारी कीर्तन करके देवता का आवहान करते हैं। पूजा के बाद कुवांरे भैंसे की बलि दी जाती है और इसी भैंसे का धड़ पहाड़ी से नीचे की और लुढ़काया जाता है। भैंसे के धड़ के आधार पर ही बारिश की भविष्यवाणी टिकी होती है। धड़ अगर कहीं बीच में रूक गया तो बारिश कम होगी।अगर यह रूक-रूक पहाड़ी से नीचे उतरा तो बारिश रूक-रूक कर होगी। और यदि धड़ तेजी के साथ नीचे लुढ़का तो बारिश लगातार और अच्छी होगी। इस बार धड़ नीचे तक पहुंचा। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि आने वाले साल में बारिश अच्छी होगी क्योंकि यहां की भविष्यवाणी सच साबित होती है।

ASHISH KUMAR

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