कमलनाथ का शिवराज से सवाल नं 10, मनमोहन के राज में धरना-प्रदर्शन का क्यों किया ढोंग?

10/30/2018 2:15:11 PM

भोपाल: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ शिवराज सरकार को घेरने के लिए के लिए 19 अक्टूबर से 40 दिन 40 सवाल का सिलसिला शुरू किया है, जिसको लेकर सोमवार को उन्होनें दसवां प्रश्न पूछा है। इस बार कमलनाथ ने शिवराज से पंचायती राज और जिलों के पिछड़ेपन को लेकर सवाल पूछा है। कमलनाथ ने ट्वीट किया है कि, 'मोदी जी ने निकाला पंचायती राज और पिछड़े जिलों का दिवाला, मामा क्यों डाला मुँह पर ताला ? शर्म करो शिवराज। मनमोहन जी के समय 'धरना-धर' और उपवास का स्वाँग, अब क्यों नही उठाते बासमती की माँग?'।

 


कमलनाथ के शिवराज से प्रश्न...

  • कांग्रेस सरकार ने पंचायती राज को सशक्त करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय स्थापित किया था। मोदी सरकार ने नियोजित रूप से पंचायती राज का गला घोंट कर उसे समाप्त प्रायः कर दिया । इस मंत्रालय के 2014-15 के 7000 करोड़(BE) के बजट को 2015-16 में 94 करोड़(BE) कर दिया गया ।
  • इस मंत्रालय के तहत दो प्रमुख कार्यक्रम चलाए जाते थे। पहला- देश के पिछड़े जिलों का विकास BRGF) और दूसरा पंचायतों को सशक्त करने  के लिये राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान (RGPSA)। मोदी सरकार ने दोनों कार्यक्रमों को 2015-16 के बाद बंद कर दिया।
  • कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश के 30 पिछड़े जिलों को आगे लाने के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि ( BRGF) कार्यक्रम 2006-07 से प्रारंभ किया था । जिसके तहत 2013 -14 तक मध्यप्रदेश पर  2995.59 करोड़ रु खर्च किए ।
  • अलीराजपुर ,अनूपपुर ,अशोकनगर,बालाघाट ,बड़वानी ,बैतूल,बुरहानपुर ,झाबुआ ,मंडला, टीकमगढ,डिंडोरी, श्योपुर इत्यादि पिछड़े 30 जिलों का अनुदान बंद ।
  • मोदी जी ने आने के बाद 2015 -16 से मध्यप्रदेश को यह(BRGF) अनुदान बंद कर दिया ।आखरी साल 2014 - 15 के लिए मोदी जी ने 647.20 करोड़ रु प्रावधानित किए, मगर जारी किए सिर्फ़ 221.22 करोड़ और मामा जी ने ख़र्च किए मात्र 197.52 करोड़ ।
  • इसी प्रकार मध्यप्रदेश की पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान को भी अनुदान बंद कर दिया । मोदी जी ने आखरी वर्ष  2015-16 में इस हेतु प्रावधानित किए मात्र 41.63 करोड़ और दिए सिर्फ़ 10.8 करोड़ ।
  • शिवराज जी फरवरी 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को पत्र लिखकर धरने पर बैठे थे कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल की पहचान,जो जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) ने स्वीकारी है,को एपीडा द्वारा स्वीकारा नहीं जा रहा है।ये मध्यप्रदेश के किसानों के साथ कांग्रेस सरकार का अन्याय है
  • अब क्या हुआ मामा जी , जब मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में आपकी मांग को ठुकरा कर आदेश दिया कि मध्यप्रदेश के किसान अपने चावलों को बासमती की पहचान नहीं दे सकेंगे ?
  • मध्यप्रदेश में 2 लाख़ हेक्टेयर के 13 जिलों,विदिशा ,सीहोर होशंगाबाद ,नरसिंहपुर ,जबलपुर, गुना ,शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया ,भिंड ,श्योपुर, मुरैना,रायसेन के किसानों को मोदी जी ने कहा कि वे अपने चावल  बासमती के नाम से नहीं बेच सकेंगे ।
  • मामा जी,मप्र के बासमती चावल उत्पादक किसानो के लिए अब धरने का स्वाँग भी नही करोगे?अब क्या मोदी सरकार से डर लगता है या कांग्रेस सरकार के समय दिखावा कर रहे थे?


सोर्स -केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय,कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण... धरना-धर मामा का स्वाँग। 
-40 दिन 40 सवाल- "मोदी सरकार के मुँह से जानिए, मामा सरकार की बदहाली का हाल।" "हार की कगार पर, मामा सरकार"।

 

Vikas kumar

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