हिजाब पर कर्नाटक हाइकोर्ट के फैसले का ग्वालियर के वकील ने क्यों किया स्वागत, पढ़िए पूरी खबर

3/16/2022 8:09:41 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): कर्नाटक हाइकोर्ट ने मंगलवार को स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाने का फैसला देते हुए निर्धारित स्कूल ड्रेस में आने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में आठ याचिकाएं लगाई गई थी और इसमें स्कूल-कॉलेज सहित कर्नाटक सरकार को पार्टी बनाया गया था। इन याचिकाओं के विरोधी 21 वकीलों में इकलौते मुस्लिम ग्वालियर के एडवोकेट शीराज कुरैशी हैं। जिन्होंने 22 फरवरी को इस केस में इंटरवेंशन पिटीशन दाखिल की थी।

इस्लाम में नहीं है हिजाब की अनिवार्यता

शीराज कुरैशी की पिटीशन को कर्नाटक हाइकोर्ट ने स्वीकार किया और इस्लाम, कुरान और हदीस में कहीं भी हिजाब की अनिवार्यता न होने की उनकी दलीलों को माना भी। दरअसल शीराज कुरैशी भारत फर्स्ट मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं। शीराज कुरैशी ने कोर्ट में दलील दी थी कि संविधान के अनुसार ही देश चलेगा, न कि शरिया कानून के मुताबिक। उनकी ओर से पिटीशन और कोर्ट की दलीलों में इस्लाम में हिजाब की अनिवार्यता न होने की दलील को स्वीकार किया गया। कोर्ट ने भी अपने फैसले में यही उल्लेख किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।

संविधान से चलेगा देश 

छात्र-छात्राएं स्कूल या कॉलेज का निर्धारित गणवेश पहनने से इनकार नहीं कर सकते हैं। गौरतलब है कि शीराज कुरैशी 27 सालों से वकालत कर रहे हैं। वे 11 साल जीवाजी यूनिवर्सिटी समेत ग्वालियर के विभिन्न कॉलेजों में वकालत के विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं। बकौल शीराज हिजाब को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां फैलाई गई हैं। मुस्लिम महिलाओं को बरगलाया जाता है कि हिजाब पहनना अनिवार्य है, जबकि इस्लाम और कुरान के मुताबिक हिजाब पहनना कहीं भी मुस्लिम फर्ज में नहीं आता है। स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की जिद करना भी गलत है। क्योंकि भारतीय संविधान के हिसाब से ही देश चलता है, जिसमें आईपीसी, सीआरपीसी की धाराएं शामिल हैं।

Devendra Singh

This news is News Editor Devendra Singh