श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है खोपा धाम, देवी देवता की नहीं यहां दानव की होती है पूजा, चढ़ती है शराब

Monday, Feb 14, 2022-11:30 PM (IST)

सूरजपुर: देश और प्रदेश में कई ऐसे धर्म स्थल है जहां लोग देवी-देवताओं से अपने लिए मन्नत मांगते है। लेकिन सूरजपुर जिले का खोपा धाम जहां दानव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दरबार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरे, मुर्गे की बली दी जाती है और शराब चढ़ाई जाती है। इस धाम में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही है। लोग मन्नत के लिए नारियल और धागे बांधते हैं और पूजा पाठ करते हैं। बस खात बात यह कि यहां देवी देवता की नहीं बल्कि दानव की पूजा होती है। इस दानव का नाम है बाकासुर जिसे स्थानीय लोग दानव देवता के नाम से भी जानते है। इनकी स्थापना खोपा गांव में की गई है इसलिए इस धाम को खोपा धाम भी कहा जाता है। यह आसपास के इलाके ही नहीं बल्कि और कई प्रदेशों के भी आस्था का केन्द्र है। यहां तमाम लोग अपनी मान्यता लेकर आते है और मनचाहा मुराद पाकर जाते हैं।

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काफी दिलचस्प है खोपा धाम कहानी...
यहां की पूजा होने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है बताया जाता है कि बकासुर नाम का दानव खोपा गांव के बगल से गुजरती रेड नदी में रहते थे। गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वहा गांव के बाहर एक स्थान पर रहने लगे और अपनी पूजा के लिए उन्होंने बैगा जाति के लोगों को ही स्वीकृति प्रदान की। यही वजह है कि यहां पूजा कोई पंडित नहीं बल्कि बैगा ही कराते हैं। तब से लेकर आज तक यह स्थल आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां की पूजा का तरीका भी अलग है पहले यहां नारियल तेल और सुपाड़ी के साथ पूजा कर अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस स्थान में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी लेकिन अब आधुनिकता में महिलाएं भी भारी संख्या में इस पवित्र स्थल पर जाकर पूजापाठ करती है। इस स्थान में पिछले कई सौ सालों से पूजा हो रही है लेकिन आज तक यहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया गया है। इसकी भी अपनी अलग कहानी है। जानकारों के अनुसार खोपा देवता ने स्थापित होने से पहले ही यह बात कह दी थी मेरा मंदिर ना बनाया जाए ताकि मैं चार दीवारी में कैद होने के बजाए स्वतंत्र रह सकूं। साथ ही इस स्थान की मान्यता है कि यहां का प्रसाद महिलाएं नहीं खा सकती है साथ ही यहां के प्रसाद को घर नहीं ले जाया जा सकता है।

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पिछले कई सौ वर्षो से यह श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र है। यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। छत्तीसगढ़ सहित तमाम प्रदेशों के श्रद्धालू भी यहां अपनी मन्नत मांगने आते है। मन्नत पूरी नारियल चुनरी के साथ बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाते है। श्रद्धालुओं की माने तो इस दर से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता है। यहां के बैगा पुजारी भूत-प्रेत और बुरी साया से बचाने का दावा भी करते है। यहां भूत-प्रेत से छुटकारा पाने वाले की भी लंबी लाइन लगी रहती है।

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पुरानी कहावत है ‘‘मानो तो देव नहीं तो पत्थर’’ यह कहावत खोपा धाम के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है। यहां दानव पर आम लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि इनकी मन मांगी मुरादे पूरी हो रही है सब मिलकर यह कब कहा जा सकता है कि आस्था में इतनी शक्ति होती है कि वह पत्थर में भी जान डाल सकती है।


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Content Writer

meena

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