जब कोरोना पॉजिटिव होने पर मां को अपने नवजात से 8 दिन रहना पड़ा था दूर, मदर्स डे पर शिखा जैन की कहानी

5/10/2021 2:30:01 PM

ग्वालियर(मध्य प्रदेश डेस्क): मातृ दिवस उन महिलाओं के लिए विशेष महत्व  रखता है जिन महिलाओं ने विषम परिस्थितियों में अपनी संतान को मातृत्व सुख दिया था। भले ही अब उनकी अबोध संतान इस वक्त अपनी मां का धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए  फिलहाल समझदार नहीं है। लेकिन मन ही मन मां और उसकी संतान मातृ दिवस की महत्ता समझते हैं।



ग्वालियर में रहने वाले अंकुर जैन और उनकी पत्नी शिखा जैन भी इस कोरोना संक्रमण काल में विषम परिस्थितियों से गुजरे हैं। पिछले साल अक्टूबर में जब कोरोना संक्रमण अपने पीक पर था तब डिलीवरी के ठीक 2 दिन पहले शिखा को डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब जांच में कोविड-19 निकला था। इससे पूरा जैन परिवार सहम गया था। लेकिन शिखा जैन ने हिम्मत नहीं हारी। निजी अस्पतालों ने जब डिलीवरी कराने से  अपने हाथ खड़े कर दिए तब शिखा को उनके पति ने जयारोग्य चिकित्सालय समूह के सुपर स्पेशलिटी वार्ड में भर्ती कराया। जहां कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा जाता है।

इसी दौरान superspeciality के महिला वार्ड में शिखा जैन को 8 अक्टूबर को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई चूंकि माता की रिपोर्ट पॉजिटिव थी इसलिए नवजात का कोरोना टेस्ट कराया गया सौभाग्य से वह नेगेटिव निकला। इसके बाद चिकित्सकों की सलाह पर इस नवजात को उसके पिता को सौंप कर घर जाने को कह दिया गया। जहां नवजात की दादी ने 8 दिनों तक इस नवजात को पाउडर के दूध के सहारे उसके आहार का इंतजाम किया। 8 दिन बाद एक बार फिर शिखा की आरटी पीसीआर टेस्ट हुई जिसमें वहां नेगेटिव आई।


नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद शिखा अपने बच्चे से मिल सकी और उन्होंने बच्चे के लिए अमृत समान मां के दूध का आहार उसे उपलब्ध कराया। शिखा कहती हैं कि वह उन 8 दिनों को कभी नहीं भूल सकती है। उन्हें अपने मां बनने पर खुशी थी लेकिन नवजात को पैदा होते ही नजर से दूर ले जाने का एक भारी दुख भी था।



उनका कहना है कि अभी उनका बेटा छोटा है वह मातृ दिवस का महत्व नहीं जानता है लेकिन उन्हें उम्मीद है अगले साल जब वह 2 साल का होगा तो जरूर उनसे एक दिन हैप्पी मदर्स डे कहेगा। उस दिन उनकी खुशी का कोई पारावार नहीं होगा। अब यह बालक 7 महीने का होने को है और पूरे घर की आंख का तारा बना हुआ है।

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This news is Content Writer meena