विधायक राणा विक्रम सिंह ने लिया गौ-अभ्यारण्य का जायजा, गौ माता के रख-रखाव के दिए निर्देश
2/2/2019 4:59:53 PM
आगर मालवा: जिले के सालरिया में बनाए गए देश के पहले कामधेनु गौ-अभ्यारण्य में लगातार गायों की मौत की खबर सामने आने के बाद निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह ने वहां जाकर गौ-अभ्यारण्य का जायजा लिया। जहां उन्होंने गौशाला में रहने वाली गायों को सर्दी से बचाने की हिदायद दी।
निर्दलीय विधायक राणा विक्रमसिंह ने बताया कि मृत गायों का पीएम कराया गया है। गौ अभ्यारण में जिस तरह की बाते फैलाई जा रही वैसा कुछ नही हैं। हम अभी विधायक बने हैं प्रदेश में सरकार भी अभी कुछ महीनों पहले बनी। ऐसे में जो गौ अभ्यारण्य में अव्यवस्था है। वह हालत पहले से ही बने हुए हैं।
इधर, गुरुवार को सुसनेर विधायक राणा विक्रमसिंह अभ्यारण्य पहुंचे और निरीक्षण किया। उन्होंने उप संचालक डॉ. एसवी कोसरवाल से चर्चा की और गायों की अच्छे तरीके से देखभाल, अच्छी गुणवत्ता वाला भूसा-चारा खिलाने व ठंड से बचाने के लिए गुड़ खिलाने के निर्देश भी दिए। वहीं गायों की मौत के बाद गठित जांच दल से भी विधायक ने चर्चा की। उन्होंने बताया कि मृत गायों का पीएम कराया गया है। गौ अभ्यारण में जिस तरह की बाते फैलाई जा रही वैसा कुछ नही हैं। हम अभी विधायक बने हैं प्रदेश में सरकार भी अभी कुछ महीनों पहले बनी। ऐसे में जो गौ अभ्यारण में अव्यवस्था है। वह हालत पहले से ही बने हुए हैं।
गौ-अभ्यारण्य में खराब भूसे की शिकायत मिलने के बाद अभ्यारण्य प्रशासन ने पशुपालन विभाग के माध्यम से गुरुवार को मंदसौर से चारा व आगर विभाग के ही फार्म से नया भूसा मंगवाया। गौ-अभ्यारण्य के उप संचालक डॉ. कोसरवाल के अनुसार यह अच्छी गुणवत्ता वाला चारा है।
बता दें कि, 2012 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आगर मालवा जिले के सलारिया गांव में देश के पहले गौ अभ्यारण्य का भूमि पूजन किया था। साल 2016 में इसका काम पूरा हुआ और सितम्बर 2017 में इसकी विधिवत शुरुआत भी हो गई। लेकिन 6000 गायों की क्षमता के लिए केबल 24 शेड ही बनाये गए। जिनमें गौअभ्यारण प्रशासन के अनुसार महज 4700 करीब गाय ही मौजूद है और उनकी भी हालत बड़ी दयनीय है। जिसका सबसे बड़ा कारण रखरखाव और समय-समय पर उनकी देख रेख नहीं होना है।
इस गौ-अभ्यारण में बने खाली भूसा गोदामों को देखकर जाहिर होता है कि गायों को दिन के समय जंगल में चराने के लिए ले जाया जाता है। जिससे उनका जीवन निर्वाह होता है। गायों की कमजोर हालात देखकर लगता है कि भूसे के अभाव में ही गायों की मृत्यु हो रही हैं। दूसरी तरफ कमजोर, अस्वस्थ ओर ठंड सहित मौसम के बदलाव के चलते भी गायों की मौत होती जा रही है।