बुंदेलखंड क्षेत्र में लॉकडाऊन का असर, छतरपुर के श्यामाप्रसाद मुखर्जी अन्तर्राजीय बस स्टैंड पर खुले में डेरा डाले लोग

3/22/2020 12:50:17 PM

छतरपुर (राजेश चौरसिया): मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में क्षेत्र में लॉकडाऊन का असर साफतौर पर देखने को मिल रहा है। यहां देशभर से आए लोग अपने परिवार सहित छतरपुर में फंस गए हैं। गाड़ियां न चलने की वजह से अपने बीबी-बच्चों के साथ छतरपुर के श्यामाप्रसाद मुखर्जी अन्तर्राजीय बस स्टैंड पर खुले में डेरा डाले हैं। यहां खाने-पीने की दुकान न खुलने से कोई सामान भी नहीं मिला रहा जिससे भूखे-प्यासे हैं। गाड़ियां ने चलने की वजह से वह गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। देर रात से रातभर बस स्टैंड पर बसर कर रहे हैं।

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मामले की जानकारी लगने पर जब हमारे संवाददाता ने LIVE रिपोर्टिंग कर तड़के सुबह 4 बजे लोगों से जाना तो वह सच सामने आया जो भयावह था। लोगों से बात करने पर और भी कई खुलासे हुए। वहीं लोगों का कहना है कि वह कोरोना के डर से बड़े शहरों (दिल्ली, नोएडा, हरियाणा, पंजाब, चंड़ीगढ़ जम्मू, राजस्थान, जयपुर, आगरा, बनारस, इंदौर, भोपाल, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, सहित कई जगहों से अपने गृहनगर, गांव, घरों को वापस आए हैं। बड़े शहरों में कोरोनो के खौफ से काम बंद है। हम लोग रोज कमाते और खाते थे जिससे हम लोग भूखों मरने के कगार पर आ गए थे।

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साथ ही कोरोना का डर भी सता रहा था तो हम लोग हर हाल में अपने घर, गांव, शहर वापस लौटना चाहते थे। वापस आने को हुए तो गाड़ियों में 4 गुना ज्यादा किराया देकर जानवरों से बदतर हालात में आए हैं। जहां बसों में 50-60 सवारियां बनती हैं। वहां 200 सवारियां आई हैं 2 लोगों के स्लीपर पर 10 लोग बैठकर आए हैं। अंदर नहीं बने तो बसों की छत पर बैठकर आए हैं। क्या करते हर हाल में हमें जाना जो था। इतना ही नहीं जब देर रात और तड़के सुबह यहां पहुंचे तो अब छतरपुर में आकर फंस गए हैं।

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अन्तर्राज्यीय बस स्टैंड पर कई सैकड़ों की संख्या में खुले में पड़े लोगों की हालत खराब है। उनका कहना है कि जैसे- तैसे छतरपुर तक तो पहुंच गए पर अपने घरों/गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यहां से गाड़ियां, टैक्सी, ऑटो, लोडर, वाहन, कुछ भी नहीं चल रहे। कुछ ऑटो वाले हैं जो 40 से 50 किलोमीटर दूरी तय करने का 10 गुना किराया वसूल रहे हैं। पूर्व किराए के मुताबिक 10 गुना पैसा लग रहा है। हम करें भी तो क्या हमें देना पड़ रहा है घर जो जाना है। जान से बड़ी कीमत तो नहीं है पैसों की। हमनें बाहर रहकर मेहनत मजदूरी कर जितना कमाया वह वापस आने में किराए में ही चला गया।

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छतरपुर से अन्य शहरों पन्ना सतना, रीवा, दमोह, टीकमगढ़, महोबा, सागर, झांसी, जाने के लिये लोग इंतज़ार में है कि कोई वाहन किसी भी कीमत पर मिल जाये जिससे आने घर, शहर, नगर, जा सकें। पर बंद की वजह से नहीं मिल पा रहा। मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि यहां वह पुरानी कहावत चरितार्थ हुई है कि "जान है तो जहां है"* और *"आसमान गिरे और खजूर पे अटके"* अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।

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Edited By

Jagdev Singh

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