नगर परिषद खिरकिया के अध्यक्ष पद के कई दावेरार, पार्टी कर्मयोगी को देती आई जिम्मेदारी

8/2/2022 2:43:16 PM

हरदा (राकेश खरका): पूर्व में नगर परिषद खिरकिया (nagar parishad khirkiya) के चुनाव साल 2000 में हुए थे। नगर परिषद के चुनाव में सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित मुक्त के लिए रिजर्व रखा गया था। बावजूद भाजपा (bjp) ने कार्य कुशलता को देखते हुए पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पूनमचंद गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया गया था। यहां बीजेपी ने काम को अहमियत दी।

अध्यक्ष पद के लिए कई दावेदार 

हरदा विधानसभा सालों से सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। बावजूद इसके सामान्य वर्ग से हटकर योग्य कर्मठ कमल पटेल जैसे नेता इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। उसका मुख्य कारण यह है कि सामान्य वर्ग के जितने भी नेता हैं, उन से हटकर कमल पटेल की कार्यशैली अपने आप में एक चमत्कारिक रही है। उसी तरह वर्तमान खिरकिया नगर परिषद के अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित है। लेकिन अध्यक्ष पद के लिए जितने भी दावेदार हैं,  यदि उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए, तो सभी प्रत्याशियों में सोनम सोनी है।

काम करने वाले को पार्टी दे रही है मौका 

आरक्षण की जगह सेवा व कर्मठता को तवज्जों देते हुए इन्हें हरदा विधानसभा की तर्ज पर खिरकिया नगर परिषद में भी अध्यक्ष बनाकर बिठाया जाता है तो यह दावे से कहा जा सकता है कि आने वाले समय में भाजपा और संगठन के साथ साथ वोट प्रतिशत निश्चित ही बढ़ेगा। उसमें किसी प्रकार की कोई शंका नहीं है। लेकिन यदि सामान्य अनारक्षित में यदि सामान्य वर्ग का जो भी अध्यक्ष बनना है, वहां पार्टी 2000 वाला फार्मूला लागू करती है कि कार्यों के आधार पर अध्यक्ष को बिठाया जाता है तो उनमें जो भी अध्यक्ष के प्रत्याशी दावेदार दिख रहे हैं। उनको न तो लंबी राजनीति का अनुभव है न ही कार्यकर्ताओं से उनका मेलजोल है।

 

यह सभी खिरकिया नगर परिषद (nagar parishad khirkiya) के कुछ वार्डो तक ही सीमित है और यदि पार्टी सोनम सोनी की पृष्ठभूमि को देखती है, तो उनके ससुर सुधीर सोनी को भी जबावदेही दी गई थी, वो उनके द्वारा बखूबी निभाई गई और सबसे बड़ी खासियत यह है कि नगर परिषद क्षेत्र से हटकर इनकी पहचान पूरे ग्रामीण क्षेत्र में भी है। सुधीर सोनी बेहद शांत, सज्जन और पार्टी हित के लिए जाने जाते हैं।

 

सुधीर सोनी ने भाजपा मंडल में महामंत्री पद पर रहते हुए बखूबी दायित्व का निर्वहन किया। इसके साथ भाजपा और कमल पटेल के हित में कार्य करते रहे हैं। वह एक ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने विषम परिस्थिति में भी कमल पटेल का साथ हर हाल में नहीं छोड़ा।

 

विधानसभा चुनाव में जब राजपूत समाज से बद्री पटेल सांगवा निर्दलीय चुनाव जब लड़े, तब भी यह देखने में मिला कि कई भाजपा कार्यकर्ता खुलेआम कमल पटेल के खिलाफ मैदान में थे, जो आज कहीं ना कहीं अपने आप को एक निष्ठावान कार्यकर्ता समर्पित कार्यकर्ता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि जो लोग पूर्व में स्थानीय नेता के चक्कर में कमल पटेल के खिलाफ थे, तो अब देखना होगा है कि पार्टी नगर परिषद में एक निष्ठावान कार्यकर्ता समर्पित कार्यकर्ता, पटेल के साथ रहने वाले कार्यकर्ता को तवज्जो संगठन देता है या अवसरवादी लोगों को मौका देता है।

 

क्योंकि यह परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव को शत प्रतिशत प्रभावित करेगा और कहीं ना कहीं फिर निर्णायक भूमिका खिरकिया ब्लॉक की हो सकती है। एक समाज की खिरकिया क्षेत्र में सीमित बोट बैंक है, जोकि कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी के पक्ष में जाया करता है। विधानसभा में इस वर्ग का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए किसी ऐसे कार्यकर्ता को नगर परिषद अध्यक्ष पद पर आसीन करना चाहिए, जिसकी बीजेपी कार्यकर्ताओं एवं खिरकिया क्षेत्र के मतदाताओं में अच्छी छवि हो और जो मतदाताओं के संपर्क में सदा बना रहता है। चौक चौराहे पान की गुमठियों पर चर्चा है कि खिरकिया को सेठ नहीं सेवक चाहिए, जल्द ही पार्टी अंतिम फैसला करेगी। 


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News Editor

Devendra Singh

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