आसमान में दिखी चमकती रहस्यमय रोशनी, साइंटिस्ट ने बताया उल्कापिंड, खंडवा के आसपास गिरने की संभावना

4/3/2022 11:11:36 AM

खंडवा। शनिवार रात लगभग 7.45 बजे के लगभग आसमान से गुजरती दो लाल रोशनी ने लोगों को हैरान कर दिया। कई लोगों ने इसके वीडियो भी बनाए। हालांकि कुछ ही समय में यह रोशनी ओझल हो गई। मौसम केंद्र भोपाल के डिप्टी डायरेक्टर ने इस रोशनी के उल्कापिंड (Meteoroid) होने की पुष्टि की है। सैटेलाइट (satellite) से मिली जानकारी के अनुसार इसके खंडवा (khandwa) के आसपास कहीं गिरने की संभावना जताई जा रही है। इधर जिले के प्रशासनिक अधिकारी देर रात तक जिले में इसके गिरने की जानकारी जुटाते रहे। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह उल्कापिंड (Meteoroid), खंडवा जिले में ही गिरा है या और कहीं। 

खंडवा के आसपास गिरने की संभावना 

मौसम केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर वेद प्रकाश सिंह (Deputy Director Ved Prakash Singh) ने अनुमानित तौर पर बताया कि महाराष्ट्र की तरफ से यह आते हुए खंडवा के पास कहीं गिरा है। लेकिन सैटेलाइट इमेज (satellite image) के कारण जगह पता नहीं चल रही। सौर मंडल में ग्रह के अलावा अन्य भाग भी है। उसी में से एक उल्कापिंड (Meteoroid) है। यह सूर्य के आसपास चक्कर लगाते हैं। किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आते हैं तो यह घर्षण के कारण नष्ट भी हो जाते हैं। शनिवार रात महाराष्ट्र के अकोला के आसपास से यह नजर आया लेकिन जमीन पर खंडवा के आसपास गिरने की जानकारी मिली है। मध्यप्रदेश सहित राजस्थान में भी यह दिखाई दिया था।

उल्कापिंड गिरने की सूचना नहीं: खंडवा कलेक्टर 

खंडवा के आनद नगर निवासी मोहित ने बताया रात लगभग लगभग 7.45 बजे यह रोशनी नजर आई। जो आसमान में लगभग दो मिनट तक रही। उन्होंने इस का वीडियो भी बनाया है। दीक्षित ने बताया कि वह खंडवा से ग्राम सिहाड़ा किसी काम से गए थे। तभी आसमान में यह नजारा देखने को मिला। हमने इस नजारे का वीडियो भी बनाया। खंडवा कलेक्टर अनूप सिंह (Khandwal Collector Anoop Singh) ने कहा कि देर रात तक कहीं पर भी उल्कापिंड (Meteoroid) गिरने की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। संबंधित अधिकारियों को जानकारी मिलने पर सूचित करने के लिए निर्देशित किया गया है। फिलहाल यह उल्कापिंड (Meteoroid) कहां गिरा है? इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।  

भौतिक शास्त्र की अपनी राय

यह एक रॉकेट (rocket) जैसा उत्तर और पश्चिम दिशा से पहले ऊपर की ओर चला और उसके बाद यह पूर्व दिशा की ओर सीधा होकर चला, उसके बाद यह नीचे कही टुकड़ों में गिरा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं इस मामले को लेकर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक और भौतिक शास्त्र संतोष कुमार राठौड़ का कहना है कि सौरमंडल में बृहस्पति और मंगल ग्रह के बीच में बहुत बड़ा एस्टेरॉयड (asteroid) बेल्ट है यानी धूमकेतु (comet) का बेल्ट है। ये लाखों-करोड़ों की संख्या में सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं। धुमकेतु (comet) छोटे से कण से लेकर टनों से वजन आकार, द्रव्यमान होते हैं। एस्टेरॉयड (asteroid) पृथ्वी के आसपास घूमते नजर आते हैं। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आने पर यह तेजी से पृथ्वी की ओर आकर्षित होने लगते हैं। वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो वायु से घर्षण होने पर गर्मी पैदा होती है। घर्षण होने से इन में आग लग जाती है और ये आग के गोले जैसे दिखाई देते हैं। ये टुकड़े वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अगर ये हमें मिल जाए तो इनकी सूक्ष्म जांच होती है, जांच से पता चलेगा कि इन में कौन-कौन से तत्व है।


 

Devendra Singh

This news is News Editor Devendra Singh