मां के साहस ने दी मौत को मात, थैलेसिमिया पीड़ित बेटे को पीठ पर लादकर 250 किमी.पैदल चल पहुंची भोपाल

5/8/2020 6:49:39 PM

भोपाल: पूरे देश में कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन चल रहा है। वहीं इसके कारण कई जरूरतमंद परेशान भी हो रहे हैं। ऐसी ही परेशान एक मां ने अपने बेटे के लिए 250 किमी का सफर पैदल तय किया। बेटे को थैलेसीमिया है और उसे खून की जरूरत थी, लेकिन सागर में उसे मेडिकल सुविधा नहीं मिल रही थी। इसी बीच भोपाल तक आने के लिए कोई साधन मुहैया नहीं था। परेशान मां ने बेटे को अपनी पीठ पर लादा और चल पड़ी भोपाल के लिए।

राजबाई धानक नाम की यह महिला मध्य प्ररदेश के सागर जिले के पास पड़वई गांव की रहने वाली है। बेटे को थैलेसीमिया की बीमारी है और बेटा मनोहर 16 साल का है। उसे ब्लड की जरूरत थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था। धीरे-धीरे करके सवा महीना बीत गया। बेटे की तबियत बिगड़ने लगी। उसका हीमोग्लोबिन कम हो गया और पसलियां अकड़ने लगीं। चक्कर आने लगे और उसका चलना-फिरना दूभर हो गया। मां से बेटे की ये हालत देखी नहीं गई। उसने बहुत कोशिश की कि कहीं से कोई सरकारी मदद मिल जाए, लेकिन लॉकडाउन के कारण कुछ बंदोबस्त नहीं हो पाया।

वहीं भारी परेशानियों के बावजूद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और भोपाल आने की ठान ली, लेकिन यहां तक भी कैसे पहुंचती, क्योंकि अभी सीमाएं सील हैं और गाड़ियों की आवाजाही भी बंद है। फिर भी राजबाई ने हिम्मत नहीं हारी और बेटे को लेकर पैदल ही भोपाल के लिए चल पड़ीं। इस भीषण गर्मी में बीमार बेटे को पैदल लेकर आना कितना मुश्किल होगा, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। वहीं राजबाई की हिम्मत के आगे मौत भी हार गई। वो बेटे के साथ जैसे-तैसे भोपाल पहुंची। हमीदिया अस्पताल के पास वो मदद की आस में बेटे को लेकर बैठी थीं, तभी एनएसएस वॉलेंटिर्स की नजर उन पर पड़ गई।

वहीं एनएसएस वालियंटर्स अस्मा खान,मुश्तकीम और अहमद महिला को केयर अस्पताल लेकर पहुंचे.डॉक्टरों से बात की। डॉक्टरों ने राजबाई के बेटे को निशुल्क ब्लड चढ़ाने की हामी भर दी, लेकिन ऐसे संकट के समय ब्लड आए कहां से. एनएसएस वॉलेंटियर्स ने वो इंतज़ाम भी किया। अनिता और पवन बरछे नाम के डोनर्स ने राजबाई के बेटे के लिए ब्लड डोनेट किया। एनएसएस वॉलेंटियर्स ने इलाज के दो से तीन दिन तक राजबाई के भोपाल में रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की।

एनएसएस वॉलेंटियर्स मानो मां- बेटे के लिए भगवान के दूत बनकर आए थे। उन्होंने राजबाई और उसके बेटे के वापस जाने का इंतज़ाम किया। उन्होंने पैसे की व्यवस्था कर गाड़ी की और प्रशासन से परमिशन मांगी और मां-बेटे को वापस सागर पहुंचाया।

Jagdev Singh

This news is Edited By Jagdev Singh