दिल्ली-NCR मे वायु प्रदूषण देख सचेत हुआ MP, एयर क्वालिटी इंडेक्स कम करने में जुटा
11/21/2019 9:28:17 AM
भोपाल (इज़हार हसन खान): देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर भारत इन दिनों वायु प्रदूषण से बुरी तरह से जूझ रहा है। दीवाली के बाद से ही वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है। दिल्ली-एनसीआर में कुछ जगह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 900 तक पहुंच गया था। एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता को बताता है। यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है। AQI बढ़ने के कारण हेल्थ इमरजेंसी तक दिल्ली-NCR में इमरजेंसी तक घोषित की जा चुकी है। वहां पर विशेषज्ञों द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। लोगों से अपील की गयी है कि वे बाहरी वातावरण के संपर्क में आने से बचें। बच्चों के हृदय व फेफड़े को नुकसान जीवाश्म ईंधन के कारण फैलने वाला प्रदूषण गंभीर हो चुका है। इसका असर किशोरावस्था और वयस्क अवस्था में प्रवेश करनेवाले बच्चों पर ही नहीं, बल्कि नवजात बच्चे पर भी पड़ रहा है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों को अधिक नुकसान पहुंच रहा है, क्योंकि उनके फेफड़े अभी विकसित होने की अवस्था में हैं। प्रदूषित हवा में सांसलेने के कारण बच्चों के फेफड़ों की कार्य क्षमता प्रभावित होगी, जिससे ये दमा के शिकार हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में हृदयाघात और स्ट्रोक्स होने का खतरा बढ़ जायेगा। अभी तक AQI बढ़ने के जो कारण सामने आए हैं उनमे हवा के बहाव में कमी आना, अत्यधिक बारूद चलाया जाना, पराली/नरवाई का जलाया जाना और वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि है।
मध्यप्रदेश में अभी एयर क्वालिटी इंडेक्स 170 के आस-पास है। वहीं राजधानी भोपाल की बात करें तो राजधानी भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स 160 से 170 के बीच रह रहा है। अगर हम एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो मेट्रो शहरों में दूषित हवा 0-50 अच्छा,50-100 संतोषजनक ,101-200 सुधार की जरूरत 201- 300 खराब ,301-400 बहुत खराब, 401-500 आपात स्थिति प्रदर्शित करता है। राजधानी भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स को 50 पर लाने के लिए कमिश्नर भोपाल कल्पना श्रीवास्तव ने कमर कस ली है इसके किये कमिश्नर ने बुधवार को संबंधित विभागों को कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दे दिए हैं।
कमिश्नर ने निर्देश दिए हैं कि वातावरण से धूल हटाने के लिए शहर की मरम्मत योग्य सड़कों की शीघ्र मरम्मत की जाए। सड़कों से व्याप्त धूल की सफाई, पानी का छिड़ाकव नियमित किया जाए। समस्त निर्माणाधीन स्थलों पर हरी नेट अनिवार्य रूप से लगाई जाए। सॉलिड वेस्ट का निपटान जलाकर न किया जाए। शहर की परिधि पर स्थित ग्रामीणों द्वारा नरवाई, पराली के जलाने पर रोक लगाई जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि शत-प्रतिशत वाहनों की पीयूसी जांच की जाए। शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में स्थापित फैक्ट्रियों, कारखानों द्वारा उत्सर्जित धुएं एवं पानी की निर्धारित मानकों पर नियमित जांच की जाए। कमिश्नर भोपाल ने जिस तरह से एयर क्वालिटी इंडेक्स को 50 पर लाने का बीड़ा उठाया है अब उसी तरह प्रदेश के अन्य कमिश्नर को भी अपने-अपने संभाग में इस तरह के प्रयास करने की जरूरत है जिससे कि हमारे प्रदेश का एयर क्वालिटी इंडेक्स कंट्रोल में रहे।