MP : विधायकों को टिकट देने से किया इंकार, अब बेटे -पत्नी के लिए ठोकी दावेदारी

3/6/2019 2:05:06 PM

भोपाल: लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में तैयारियों जोरों पर चल रही है। टिकटों को लेकर जमकर मंथन किया जा रहा है। कई नामों पर सहमति बन चुकी है और बाकी नामों पर अगली स्क्रीनिंग कमेटी मे चर्चा होना है। वही पार्टी द्वारा विधायकों को टिकट ना दिए जाने के ऐलान के बाद अब विधायकों ने बेटे-पत्नी के लिए टिकट मांगना शुरु कर दिया है। लोकसभा चुना में कांग्रेस के तीन विधायकों ने अपनी पत्नी और बेटे के लिए टिकट की मांग की है। हालांकि राजस्थान में पार्टी ने राज्यसभा सदस्य, विधायक, विस चुनाव हारे नेता और नेताओं के परिजनों को लोकसभा चुनाव में टिकट देने से इंकार कर दिया है, ऐसे में माना जा रहा है एमपी में भी इसी फॉर्मूले को लागू किया जा सकता है।


 

जीतू पटवारी की पत्नी रेणू पटवारी का नाम चर्चाओं में 
दरअसल,वर्तमान में कांग्रेस के 3 विधायकों के परिजन लोकसभा क्षेत्रों में सक्रिय नजर आ रहे हैं। पहले नंबर पर राऊ से दूसरी बार चुनाव जीत कर प्रदेश सरकार में मंत्री बने जीतू पटवारी की पत्नी रेणू पटवारी का नाम चर्चाओं में चल रहा है। इन दिनों वे अपने मंत्री पति के साथ राजनीति में काफी सक्रिय दिखाई दे रही है।विधानसभा चुनाव में भी रेणु अपने पति और मंत्री जीतू के साथ जनसंपर्क में देखी गई थी, लेकिन इस बार वे खुद के लिए सक्रिय नजर आ रही हैं।




मंत्री तुलसीराम सिलावट बेटे के लिए कर रहे दावेदारी
उधर मंत्री पटवारी भी शहर के सार्वजनिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। गत दिनों हुकमचंद मिल के श्रमिकों के बीच भी उन्होंने बड़ी घोषणाएं कीं। उन्होंने इंदौर के लिए पत्नी का नाम आगे बढ़ाया है। वहीं उज्जैन संसदीय क्षेत्र से इस बार मंत्री तुलसीराम सिलावट के बड़े बेटे नितिश लोकसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं। बेटे के लिए सिलावट ने भी लॉबिंग शुरू कर दी है। डेली कॉलेज से पढ़े नितिश भी उज्जैन में पिछले तीन माह से सक्रिय हैं। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के बेटे पवन वर्मा की भी देवास संसदीय क्षेत्र से दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।


 

विधानसभा चुनाव के बाद से ही पवन क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। मंत्री वर्मा सांसद रह चुके हैं और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनके दौरे भी देवास, आगर, शाजापुर में बढ़ गए हैं। 9 साल पहले मंत्री वर्मा विधायक थे। पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया था। वे चुनाव जीत गए थे। उसके बाद उपचुनाव में उन्होंने अपने ही एक रिश्तेदार को टिकट दिलवाया था, लेकिन तब भाजपा के उम्मीदवार राजेंद्र वर्मा चुनाव जीते थे। ऐसे में इस बार फिर वर्मा अपने बेटे को टिकट दिलाने की जुगत में है।

 



ऐसे में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के फार्मूले पर अमल करना आसान नहीं लग रहा है। उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पार्टी के अंदर टिकट की दावेदारी तेज होने लगी है। लोकसभा के लिए टिकट के लिए दावेदारी करने वालों में कई मंत्री, वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और विधायक शामिल हैं। ऐसे में पार्टी को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करने के फार्मूले में बदलाव करना पड़ सकता है।हालांकि पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि वह केवल जिताउ उम्मीदवार को ही टिकट देगी। लेकिन मंत्री-विधायकों की लगातार दावेदारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा में भी टिकटों को लेकर घमासान मचना तय है। 

 

 

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