AIDS डे स्पेशल: एड्स रोगियों की संख्या में सातवें नंबर में पहुंचा MP, चौंकाने वाले हैं आंकड़े

12/1/2018 3:06:54 PM

भोपाल : एचआईवी एड्स जैसी गंभीर व लाइलाज बीमारी से लड़ने के लिए तमाम अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन सफलता नाम मात्र की है। प्रदेश में न केवल यह गंभीर बीमारी बढ़ रही है, बल्कि इससे कई लोग मौत का ग्रास भी बन चुके हैं। एचआईवी/एड्स के मरीजों की न केन्द्र सरकार को चिंता है न प्रदेश सरकार को। देश में एड्स रोगियों की संख्या में मध्यप्रदेश सातवें स्थान पर है। मध्यप्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर साल करीब 5 हजार नए मरीज इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसके बाद भी बजट बढ़ने की जगह कम होता जा रहा है। 

पिछले पांच साल के भीतर सालाना बजट में 17 करोड़ रुपए कम हो गए हैं। 2014-15 में सालाना बजट 55 करोड़ रुपए था। अब 38 करोड़ रुपए हो गया है। यह पूरी राशि केन्द्र की तरफ से मिल रही है। राज्य की तरफ से बिल्कुल भी बजट नहीं दिया जा रहा है। बजट कम होने की वजह से इस बीमारी की प्रभावी रोकथाम नहीं हो पा रही है। इस कारण मरीज की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही। बजट की कमी का सबसे ज्यादा असर नए मरीजों की खोज, जांच सुविधाएं बढ़ाने, जागरूकता अभियान चलाने व इन मरीजों के लिए नई सुविधाएं देने पर पड़ रहा है।

 

एड्स का इस तरह घटा बजट

  • 2018-19 - 38 करोड़
  • 2017-18- 39 करोड़
  • 2016-17- 39 करोड़
  • 2015-16- 44 करोड़
  • 2014-15 - 55 करोड़

 

हर साल बढ़ रहे एड्स के मरीज 

  • 2017-    5030
  • 2016-    4932
  • 2015-    4682
  • 2014 -   5488
  • 2013-     5186
  • 2012-     5079
  • 2011 -    4755


 

 

प्रदेश में केवल यहां है इलाज की सुविधा

  • सरकारी मेडिकल कॉलेज : भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर
  • जिला अस्पताल : रीवा, उज्जैन, खंडवा, मंदसौर, सिवनी, नीमच, धार, बड़वानी, बुरहानपुर, रतलाम, बालाघाट, श्ािवपुरी व खरगौन।


  • सर्वे के अनुसार प्रदेश में हाई रिस्क ग्रुप के लोगों की संख्या 
  • फीमेल सेक्स वर्कर- 28 हजार
  • एमएसमएम- 9 हजार
  • सिरिंज से नशीली दवाएं लेने वाले- 8 हजार
  • ट्रकर्स- 80 हजार
  •  प्रदेश में अब तक पॉजिटिव मरीज : 58815
  •  एआरटी सेंटर्स में दवा ले रहे मरीज : 24078
  • अब तक मौत : 8365

ऐसा हुई इसकी शुरुआत भारत में

1986- HIV संक्रमण का पहला मामला भारत में पाया गया। 1992-1999- भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण अभियान के प्रथम चरण की शुरुआत की। 2007-2009- भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की जिसमें राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं को भी शामिल किया गया। 2007-2009- भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत की। जिसमें राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक एचआईवी संक्रमण के रोगियों के ईलाज के लिए सहयोग देने की योजना शुरु की गयी। 2012-2017- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण अभियान के चौथे चरण की शुरुआत की गयी। जिसमें संक्रमण का जिस जगह सबसे ज्यादा खतरा था उन जगहों को चिन्हित करके इसपर रोक लगाने का काम शुरु किया गया।

एड्स रोग कैसे होता ?

  • एक से अधिक महिलाओं से यौन संबंध रखने से !
  • वेश्‍यावृति करने वालों लोग जो यौन सम्‍पर्क बनाते हैं ।
  • नशीली दवाईयां एवं पदार्थ इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन से
  • अगर पिता/माता के एच.आई.वी. संक्रमित है और अपने संतान को जन्म देते हैं तो उस संतान में भी एड्स होने का चांस बहुत ज्यादा रहता है !
  • बिना जांच किया हुआ या ब्लड बैंक द्वारा अनसर्टिफाइड रक्‍त ग्रहण करने से एड्स हो सकता है।
  • एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों से अंग दान लेने से।
  • एचआईवी. संक्रमित व्‍यक्ति व्यक्तियों का इस्तेमाल किया गया बसेड व सिरिंज आदि से भी एड्स हो सकता है।

एड्स से बचने के उपाय
आज के समय में HIV को रोकने के लिए बहुत से उपाय उपलब्ध हैं। परहेज के अलावा, कम लोगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना, सुइयों को कभी भी साझा नहीं करना और  यौन संबंध बनाते समय कंडोम का सही तरीके से उपयोग करना इसका इलाज है। 

 

इस तरह दूसरों को HIV फैलाने से रोका जा सकता है
एचआईवी एड्स को दूसरों में फैलाने से रोका जा सकता है। एचआईवी एड्स से बचने का तरीका में सबसे महत्वपूर्ण एचआईवी (एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी या एआरटी) का इलाज करने के लिए रोज सही तरीके से दवा लेना होता है। ये एचआईवी एड्स की दवाएं और एड्स से बचने का तरीका कई सालों तक स्वस्थ रख सकती हैं और  साथी को एचआईवी प्रसारित करने की संभावना को बहुत कम कर सकते हैं।
 

suman

This news is suman