वाकई गज़ब है MP: इन करोड़पति नेताओं के पास न तो पैन कार्ड है और न ही देते हैं टैक्स

4/4/2019 6:15:22 PM

भोपाल: करोड़ों की संपत्ति के मालिक होने के बावजूद भी मध्यप्रदेश में कई सांसदों और विधायकों के पास न तो पैन कार्ड है और न ही वे इनकम टैक्स भरते हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। पैन कार्ड की डिटेल नहीं देने वालों करोड़पति विधायकों में गदरवाड़ा से विधायक सुनीता पटेल और सिरोंजी से विधायक उमाकांत शर्मा का नाम शामिल है।  उमाकांत शर्मा व्यापम घोटाले में आरोपी पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई हैं। 
 


इन सांसदों ने इनकम टैक्स नहीं किया फाइल 
सांसद जिन्होंने अपने पैन कार्ड की डिटेल तो दी है, लेकिन इनकम टैक्स नहीं फाइल किया है उनमें बालाघाट से बीजेपी सांसद बोध सिंह भगत हैं।  इनके पास दो करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। इसके अलावा शहडोल से बीजेपी सांसद ज्ञान सिंह और रीवा से बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा के पास भी एक करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल न करने वालों में कमलनाथ सरकार में मंत्री ओंकार सिंह मरकाम का नाम भी शामिल है। इनके पास सवा करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। एडीआर ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चीफ इनकम टैक्स ऑफिसर आरके पालीवाल को चिट्ठी लिखकर इसकी सूचना दी और कार्रवाई करने की मांग की है।



 
इन विधायकों ने आटीआर नहीं किया फाइल

मध्य प्रदेश में कुल 16 विधायकों के पास करोड़ों की संपत्ति है। इन विधायकों के पास पैन कार्ड तो है, लेकिन इन्होंने आटीआर फाइल नहीं किया है।  इनमें सुनीता पटेल का नाम भी शामिल है जिनकी संपत्ति 6 करोड़ रुपये से अधिक है। इनके पास पैन कार्ड भी नहीं है. अन्य लोगों में बड़वानी से बीजेपी विधायक प्रेम सिंह हैं जिनकी संपत्ति 5 करोड़ से ऊपर है। गुना से बीजेपी विधायक गोपीलाल जाटव के पास तीन करोड़ से अधिक की संपत्ति है।  कांग्रेस पार्टी के कोटामा से विधायक सुनील कुमार और मुंगावली से विधायक ब्रजेंद्र सिंह यादव के पास 2 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।





ये कहा है रिपोर्ट में
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जनप्रतिनिधियों में उनके नाम भी शामिल हैं जो दूसरी या तीसरी बार चुनाव जीते हैं और इनकी संपत्ति में इस दौरान काफी इज़ाफा हुआ है।  ये उम्मीदवार पैन कार्ड के कॉलम को या तो खाली छोड़ देते हैं और या तो 'नॉट एप्लीकेबल' लिख देते हैं.सुप्रीम कोर्ट के 13 सितंबर 2013 के उस आदेश का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया था कि जो उम्मीदवार अपने नामांकन में आधी-अधूरी जानकारी देगा या वित्तीय लेन-देन की गलत जानकारी देगा उसकी उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है.

 

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